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आदिवासी समुदाय से मिलती है पर्यावरण संरक्षण की सीख : मरकाम

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Nov 18 2019 12:40AM | Updated Date: Nov 18 2019 12:40AM
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भोपाल। मध्यप्रदेश के आदिम-जाति कल्याण मंत्री ओमकार सिंह मरकाम ने कहा कि आज सारी दुनिया ग्लोबल वार्मिंग और बढ़ते प्रदूषण के संकट का सामना कर रही है। ऐसे समय में आदिवासी समुदाय से पर्यावरण संरक्षण की सीख बेहतर तरीके से ली जा सकती है। आदिवासी समुदाय प्रकृति के सबसे करीब है। आधिकारिक जानकारी के अनुसार मरकाम आज यहां इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय में आदिवासी भाषा, संस्कृति और  समग्र विकास पर केन्द्रित तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन सत्र में बोल रहे थे। इस अवसर पर श्री मरकाम ने 'भारत के आदिवासी-एक परिचय'' और 'कुँडुख ब ओत'' पुस्तिका का भी विमोचन किया।
 
मरकाम ने कहा कि आदिवासी वर्ग को शिक्षित कर उनका विकास संभव है। उन्होंने कहा कि हमें इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि विकास की दौड़ में हमारी युवा पीढ़ी अपनी परम्परा और रीति-रिवाज से दूर न हो जाये। उन्होंने  कहा कि कोई भी समाज तभी पूर्ण रूप से विकसित हो सकता है, जब उस समाज समाज की महिलाओं को भी बराबरी से प्रगति के अवसर दिये जाएं। मरकाम ने कहा कि राष्ट्रीय संगोष्ठी में विचार-विमर्श से उपजे निष्कर्षों का आदिवासी समुदाय की भलाई, योजनाओं और नीति-निर्धारण में उपयोग किया जायेगा। समापन सत्र में अरुणाचल प्रदेश की सामाजिक कार्यकर्ता जर्जुम अत्ते ने कहा कि देश की सुरक्षा को साम्प्रदायिक सद्भाव के माहौल में ही मजबूती दी जा सकती है।
 
उन्होंने मध्यप्रदेश में वन अधिकार अधिनियम में आदिवासी समुदाय के प्रकरणों को प्राथमिकता से निराकृत किये जाने का आग्रह किया। आदिवासी भारत समन्वय मंच के डॉ. अभय खाखा ने बताया कि राष्ट्रीय संगोष्ठी में 16 राज्यों के 21 जनजातीय समुदायों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इन प्रतिनिधियों ने आदिवासी समुदाय की शिक्षा, स्वास्थ्य, भाषा, संस्कृति समेत नौ विषयों पर विचार-विमर्श किया। समापन सत्र में आदिम-जाति कल्याण मंत्री श्री मरकाम ने भोपाल घोषणा-पत्र पढ़कर सुनाया।
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