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इंदौर में पीएफए के कार्यकर्ता 5 से 6 हजार आवारा श्वानों को रोज खिला रहे हैं भोजन

By Dabangdunia News Service | Publish Date: May 21 2020 5:56PM | Updated Date: May 21 2020 5:57PM
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इंदौर। मध्यप्रदेश के इंदौर में लॉकडाउन में आवारा श्वानों के लिए भोजन दान एकत्र कर उन्हें खिलाने की अनूठी मुहिम से गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) पीपुल्स फॉर एनिमल (पीएफए) बढ़ते ‘डॉग बाइट’ के मामलों पर 90 प्रतिशत तक अंकुश लगाने में सफल होता दिखाई दे रहा है।
कमला नेहरू प्राणी संग्रहालय के प्रभारी और नगर निगम के उपायुक्त डॉ. उत्तम यादव ने पूछे जाने पर बताया कि बीते 50 दिनों से ज्यादा समय से जारी लॉकडाउन में आवश्यक वस्तुओं को छोड़ अन्य सभी प्रकार के प्रतिष्ठानों की आर्थिक गतिविधियां पूरी तरह से थमी हुयी हैं। यही वजह है कि गैर रहवासी क्षेत्रों को छोड़ व्यावसायिक, वाणिज्यिक और औद्योगिक क्षेत्रों में स्थित सभी इकाइयां ताला बंदी का पालन कर रही हैं। इन परिस्थितियों में यहां रहने वाले 5-6 हजार से ज्यादा चिन्हित आवारा श्वान भोजन के अभाव में हिंसक मनोवृत्ति अख्तियार कर जनसामान्य को प्रतिकूल रुप से प्रभावित कर रहे थे।
 
डॉ. यादव के अनुसार इन विषम परिस्थितियों में पीपुल्स फॉर एनिमल की इंदौर इकाई ने इन तक भोजन पहुंचाने की पहल की। आज निगम और जनसहयोग से पीएफए प्रतिदिन 5-6 हजार आवारा श्वानों को भोजन खिला रहे हैं। भूख तृप्ति होने के बाद आश्चर्यजनक रूप से आवारा श्वानों का व्यवहार सामान्य होता दिख रहा है। यही वजह है कि लॉकडाउन के प्रारम्भिक सप्ताह में जहां शहर में प्रतिदिन 200-300 मामलें ‘डॉग बाइट’ के सामने आ रहे थे, जो अब महज 30-40 की नाममात्र संख्या तक सिमट कर रह गये हैं।
 
मध्यप्रदेश पुलिस पशु क्रूरता निवारण केंद्र इंदौर और पीपुल्स फॉर एनिमल की इंदौर इकाई अध्यक्ष प्रियांशू जैन से जब उनके द्वारा चलाई जा रही, इस मुहिम के बारे में जानना चाहा तब उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के पहले वे केवल पशु क्रूरता और दुर्घटनाओं में घायल हुए मूक प्राणियों का उपचार का कार्य सहयोगियों की मदद से कर रही थीं, लेकिन लॉक डाउन के बाद शहर के विभिन्न हिस्सों से आवारा श्वानों के भोजन के अभाव में उग्र होने की शिकायतें उन्हें मिल रही थीं। तब जन सहयोग से इन श्वानों के लिए भोजन तैयार कर इन्हें नियमित खिलाने की मुहिम शुरू की।
 
जैन ने बताया कि मुहिम के तहत रोजाना 300 से 400 किलो शाकाहारी भोजन तैयार किया जाता है। जिसमें दाल-दलिया, चावल, रोटियां प्रमुख है। भोजन तैयार करते समय भोजन की पौष्टिकता का ध्यान रखते हुए इसमें गुड़, सोयाबीन, चने और रेडीमेड डॉग फूड फ्लेवर मिलाया जाता है। जिसे परोसे जाने पर आवारा श्वान बड़े चाव से खाते हैं। मुहिम से जुड़कर प्रतिदिन श्रमदान करने वाले व्यवसायी विनोद नाहर बताते हैं कि मुहिम को सक्षम बनाने के उद्देश्य से शहर के कई हिस्सों में एक विशेष मुहिम ‘एक रोटी, मूक प्राणी के नाम’ प्रारम्भ की गयी है।
 
इसमें रहवासी नागरिकों से प्रतिदिन एक रोटी दान देने का आग्रह किया जाता है। प्रारम्भ में 50 घरों से शुरू हुयी यह मुहिम आज एक हजार से ज्यादा परिवारों के सहयोग से इस पुनीत कार्य में एक हजार से ज्यादा रोटियों का महत्वपूर्ण योगदान दे रही है। मुहिम के तहत पीएफए के देवेंद्र द्विवेदी, गौरव वर्मा, घनश्याम शर्मा और नितिन बमोरिया सहित दो दर्जन से ज्यादा कार्यकर्ता अलग-अलग टीमों में बंटकर प्रतिदिन 10-12 घन्टे इन मूक प्राणियों की सेवा कर रहे हैं।
 
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