27 Apr 2024, 11:01:36 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android
Health

वैज्ञानिकों को HIV के खिलाफ मिली बड़ी सफलता, जल्द जड़ से खत्म कर पाएंगे ये बीमारी

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Mar 21 2024 5:51PM | Updated Date: Mar 21 2024 5:51PM
  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

सालों साल की कड़ी मेहनत के बाद आखिरकार वैज्ञानिकों को एचआईवी के खिलाफ बड़ी सफलता हासिल हुई है। वैज्ञानिकों ने इस बीमारी का नया तरीका खोज निकाला है और जल्द ही इस बीमारी को जड़ से खत्म करने का इलाज सबके पास मुहैया होगा। हम सब जानते हैं कि एचआईवी एक गंभीर संक्रामक बीमारी है जो व्यक्ति के इम्यून सिस्टम को कमजोर कर देता है जिससे व्यक्ति की जान तक जा सकती है।

ये कारनामा एम्सटर्डम विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने कर दिखाया है जिसमें उन्होंने इस खतरनाक संक्रामक बीमारी के इलाज के लिए एक नया तरीका खोज निकाला है। वैज्ञानिकों ने CRISPR नाम की तकनीक का इस्तेमाल कर एचआईवी के इलाज की दिशा में बड़ी सफलता पाई है। इस तकनीक को मॉलिक्यूलर सीजर के नाम से भी जाना जाता है जिसका उपयोग वैज्ञानिकों ने एचआईवी के डीएनए को संक्रमित कोशिकाओं को काटने के लिए किया है।

एचआईवी के मौजूदा इलाज में सिर्फ इस बीमारी को कंट्रोल किया जा सकता है लेकिन पूरी तरह खत्म नहीं किया जा सकता है लेकिन इस तकनीक से वैज्ञानिकों ने इसे पूरी तरह से खत्म करने की उम्मीद जताई है।एम्सटर्डम विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने अपनी इस उपलब्धि की जानकारी मेडिकल कांफ्रेंस करके दी है जिसमें उन्होंने बताया है कि ये इस रिसर्च में अभी एक शुरुआती कान्सेप्ट है और इससे तुरंत कोई इलाज नहीं किया जाएगा। अभी इस पर और रिसर्च की जा रही है ताकि पता किया जा सके कि आगे चलकर ये तकनीक मरीज के लिए कितनी सुरक्षित और असरदार रहेगी।

नॉटिंघम विश्वविद्यालय में स्टेम सेल और जीन थेरेपी टेक्नोलॉजी के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ। जेम्स डिक्सन का इस रिसर्च पर कहना है कि एचआईवी के इलाज के लिए CRISPR का उपयोग कितना असरदार और कारगर है इसका दोबारा से मूल्यांकन करना बेहद जरूरी है। साथ ही डॉक्टर डिक्सन ने बताया कि ये स्टडी जीन एडिटिंग तकनीक का इस्तेमाल करके एचआईवी वायरस को रोगी की कोशिकाओं से पूरी तरह हटाने की कोशिश करती है। हालांकि ये एक बेहतरीन खोज है लेकिन अभी इस पर और अध्ययन किया जाना जरूरी है। ये किसी शरीर पर कैसे काम करेगी इसको देखना अभी बाकी है। ताकि इसकी विश्वसनीयता का पता लगाया जा सके।

  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

More News »