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Health

कोरोना संक्रमण के कारण आंत में भी जम सकते हैं खून के थक्के, आये दर्जन भर मामले

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jun 2 2021 3:54PM | Updated Date: Jun 2 2021 10:40PM
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नई दिल्‍ली। कोरोना की दूसरी लहर में वायरस उन मरीजों के ब्लड पर भी अटैक कर रहा है जो ओल्ड एज, गंभीर बीमार और हार्ट तथा डायबिटीज या ब्लड प्रेशर के मरीज हैं। ऐसे मरीजों में खून का थक्का ब्लड क्लोटिंग पाया है, जिससे मरीजों को हार्ट अटैक व पैरालिसिस हो रहा है। मेडिकल एक्सपर्ट्स का कहना है कि कोरोना वायरस से गंभीर रूप से बीमार 30 फीसदी तक मरीजों को खून के थक्कों के बनने की घातक स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि ये खून के थक्के या क्लॉट्स कई मरीजों के मरने की वजह हो सकते हैं। इन क्लॉट्स को थ्रोंबोसिस कहा जाता है। इन थक्कों के बनने की वजह से फ़ेफ़ड़ों में गंभीर सूजन पैदा होती है। कोरोना वायरस से शिकार मरीज का शरीर सामान्य प्रतिक्रिया के तौर पर फ़ेफ़ड़ों में सूजन पैदा करता है।
 
कोरोना संक्रमण के कारण हृदय और मस्तिस्क की धमनियों में खून के थक्के जमने से मौत होने की शिकायत आने के बाद अब कोरोना संक्रमितों में एक और शिकायत आ रही है। दरअसल अब उनके आंत में थक्के जमने और गैंग्रीन होने के मामले सामने आ रहे हैं। डॉक्टरों ने बताया कि मुंबई के अस्पतालों ऐसे लगभग एक दर्जन मामले सामने आये हैं। जिनका इलाज किया गया है। इसलिए डॉक्टरों ने कहा कि है कि कोरोना संक्रमण के दौरान पेट दर्द की शिकायत होती है तो इसे नजरअंदाज नहीं करें। टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक अंधेरी के होली फैमिली अस्पताल में एक ऐसा ही मामला सामने आया था। बताया गया कि 58व वर्षीय सुनील गवली के पेट में खाना खाने के बाद भयंकर दर्द होने लगा। इसके बाद उसे अस्पताल लाया गया। जहां जांच के बाद पता चला कि उसके आंत में थक्के जमें हुए हैं जो कोरोना संक्रमण के कारण हुआ था। 
 
सुनील का इलाज करने वाले डॉक्टर ने बताया कि जब उसे अस्पताल लाया गया और पेट दर्द की दवाई दी गयी तब भी दर्द पर कोई असर नहीं हुआ। इसके बाद उसका सीटी स्कैन किया गया। जिसमें पाया गया कि आंत को खून की आपूर्ति करने वाले धमनियों में खून के थक्के जमें हुए थे। जिसे मेसेन्टरिक सुपीरियर कहा जाता है। डॉ अनिरुद्ध भुइंया ने कहा कि आंत में खून के थक्के जमने के बाद गैंग्रीन बन चुका था। इसलिए ऑपरेशन करना ही एक मात्र विकल्प था। ऑपरेशन के जरिये उसके खून के थक्के और गैंग्रीन को साफ किया गया। उन्होने कहा की इस तरह का उनके पास दसवां मामला सामने आया था। उन्होंने कहा कि कई ऐसे मरीज इलाज के लिए आये जिनमें सांस लेने की समस्या नहीं थी। पर गंभीर पेट दर्द की शिकायत थी। विभिन्न रिपोर्ट से पता चला है कि कोरोना संक्रमण के लगभग 16-30 फीसदी रोगियों में गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल लक्षण भी होते हैं। उनमें सांस लेने की समस्या की शिकायत नहीं आती है। पर पेट में दर्द कि शिकायत होती है। जिसे आंत में थक्के जमने वाली मेन्सटेरिक इस्किमिया कहा जाता है।
 
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