नई दिल्ली। कोरोना ने पूरी दुनिया का रंग-रूप बदलकर रख दिया है। जहां सड़कों पर रौनक रहा करती थी वहां अब विरानगी छाई है। लोग अपने अपने घरों में छुपे रहने को मजबूर हैं। कोरोना से मुकाबला करने के तरीके खोजे जा रहे हैं। इस बीच एक ऐसी खबर सामने आई है जो राहत दे सकती है। राजस्थान (Rajasthan) के चूरु जिले के गांधी विद्या मंदिर की भंवर लाल दूगड़ विश्वभारती केमिकल लैब में बनने वाला काढ़ा कोरोना वायरस के इलाज में कारगर साबित हो रहा है।
इस रोग प्रतिरोधक आर्युवेदिक काढ़ा कोविद-19 का मुकाबला करने में मददगार साबित हो रहा है इसलिए इस काढ़े को अब राजस्थान के अलावा मध्यप्रदेश, पंजाब, उत्तर प्रदेश और बंगाल में भी मंगाया जा रहा है अब हर रोज सप्लाई को पूरा करने के लिए तीन लाख प्रतिदिन हो गया है. पहले एक लाख प्रतिदिन के हिसाब से काढ़ा बन रहे थे। इन पैकेटों को पूरे देश भर में निशुल्क भेजा जाएगा। इस संस्थान के अध्यक्ष हिमांशु दुगड़ की मानें तो कोरोना वायरस के इलाज में यह काढ़ा कारगर साबित हो रहा है गांधी विद्या मंदिर में 6 उपकरण लगवाए गए हैं जो रोज लगभग 2 से 3 लाख पैकेट इस काढ़े का तैयार करेगी राज्य सरकारों को बिना दाम इसे भेजा जाएगा।
हिमांशु दुगड़ ने बताया कि काढ़ा एक 800 साल पुरानी आर्युवेदिक परंपरा है ए नागराज जी द्वारा हमें यह नुस्खा दिया गया था इस काढ़े को बनाने के लिए 10 चीजों की जरूरत पड़ती है। सोंठ, काली मिर्च, पीपल, जावित्री, जायफल, लॉन्ग, छोटी इलायची, बड़ी इलायची और तुलसी पत्र ऐसे करके 10 चीजें इसमें शामिल कर सकते हैं हमलोग इस नुस्खें को सभी को बताया है ताकि वो घर में भी बनाकर इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।
इस संस्थान के अध्यक्ष ने बताया कि सर्व ज्वरहर चूर्ण को राजस्थान में आयुर्वेद की मान्यता प्राप्त है रसायनशाला के अधिकारी की मानें तो इस चूर्ण से हर तरह के वायरस से होने वाले ज्वर का नाश होता है। वहीं, आयुष मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि कई राज्यों में इस तरह के अलग-अलग प्रयोग चल रहे हैं आयुष मंत्रालय और आयुष पद्धति के विशेषज्ञों, आईसीएमआर तथा सीएसआर की निगरानी में अब इसके प्रमाणिक ईलाज पर मुहर लगने जा रही है ये कहना है गांधी विद्या मंदिर के अध्यक्ष हिमांशु दुगड़ का. यहीं नहीं सीआरपीएफ के जवानों के लिए 20 हजार पैकेट मंगवाए गए हैं।