नई दिल्ली। भारत फुटबॉल टीम के पूर्व मिडफील्डर तथा कोच कृष्णाजी राव का यहां रविवार को बेंगलुरु में निधन हो गया। उन्होंने 1966 में बैंकाक में एशियाई खेलों में सीनियर टीम में अंतरराष्ट्रीय पदार्पण किया था। 1967 में रंगून (अब यांगून) में एशियाई कप क्वालीफायर और 1968 में कुआलालंपुर में मर्डेका कप में भी भारत का प्रतिनिधित्व किया था, जिसमें उन्होंने कुल चार मैच खेले। उन्होंने 2000 में इंग्लैंड के दौरे के दौरान भारतीय टीम के सहायक कोच के रूप में भी काम किया। इस दौरे के साथ-साथ वह 2001 में मर्डेका कप, प्री-वर्ल्ड कप और सहारा मिलेनियम कप में टीम के तकनीकी निदेशक थे।
अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) के अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल ने महासंघ की ओर से कृष्णाजी राव के निधन पर शोक जताया है। उन्होंने अपने शोक संदेश में कहा, ‘‘ यह सुनकर वाकई बहुत दुख हुआ कि राव अब हमारे बीच नहीं रहे। भारतीय फुटबॉल में उनका अमूल्य योगदान हमेशा हमारे साथ रहेगा। मैं उनके निधन पर दुख व्यक्त करता हूं। ’’ एआईएफएफ के महासचिव कुशल दास ने कहा, ‘‘ राव एक असाधारण मिडफील्डर थे, जिन्होंने घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ी सफलता हासिल की और एक कोच के रूप में भारतीय फुटबॉल की भी सेवा की। उनके परिवार के प्रति मेरी गहरी संवेदना। भगवान उनकी आत्मा को शांति दे। ’’
उल्लेखनीय है कि दिवंगत कृष्णाजी राव ने घरेलू स्तर पर कई मौकों पर संतोष ट्रॉफी में मैसूर का प्रतिनिधित्व किया और कप्तानी भी की। इस दौरान उन्होंने 1967 और 1968 लगातार दो वर्षों में जीत हासिल की। वह बेंगलुरु में सीआईएल के लिए भी खेले और बाद में कर्नाटक के लिए तकनीकी निदेशक और 1990 के दशक में बेंगलुरु में एचएएल के लिए मुख्य कोच के रूप में काम किया।