नई दिल्ली। फैराडे के सिद्धांत से लेकर अब तक बिजली बनाने के तमाम तरीके देश में प्रयोग किए जाते हैं। जिनसे हम बिजली की जरूरतों को पूरा करते हैं। लेकिन जैसे -जैसे जनसंख्या वृद्धि हो रही है, तापमान बढ़ रहा है, बसावट बढ़ रही है, उद्योग धंधे लग रहे हैं, फैक्ट्रियां लग रहीं हैं वैसे-वैसे देश में बिजली की मांग दिनों दिन बढ़ती जा रही है। लेकिन अब घडिय़ों, डिजिटल थर्मामीटर, रेडियो फ्रीक्वेंसी ट्रांसमीटर्स, स्वास्थ्य उपकरणों, पेडोमीटर्स आदि के लिए बिजली की वैकल्पिक व्यवस्था संभव होगी।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली के वैज्ञानिकों ने इलेक्ट्रो स्टैटिक इंडक्शन और ट्राइबो इलेरिक्ट्रक प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए पानी की बूंदों, बारिश की बूदों, पानी की वाष्प, बर्फीली हवाओं से बिजली बनाने की एक ऐसी डिवाइस विकसित कर ली है। जिससे कुछ मिली वाट की बिजली तैयार की जा सकती है। इस डिवाइस को नाम मिला है लिक्विड सॉलिड इंटरफेस ट्राईबो इलेक्ट्रिक नैनो जनरेटर। इस डिवाइस के जरिए बनाई गई बिजली को आगामी इस्तेमाल के लिए बैटरियों में भी जमा किया जा सकता है। आईआईटी दिल्ली के भौतिक विज्ञान विभाग प्रो. नीरज खरे और नैनोस्केल रिसर्च फैसिलिटी(एनआरएफ) समूह इस पर काफी लंबे समय से काम कर रहा था जिसे अब सफलता मिल गई है। इस समूह ने इस शोध के लिए भारतीय पेटेंट भी फाइल कर दिया है। हाल ही में यह रिसर्च एक जर्नल के कवर पेज पर भी छपा है।
प्रो. नीरज खरे ने कहा कि शोध टीम ने बिजली के अंतर्निहित तंत्र की खोज की है कि पानी की बूंद ठोस सतह के संपर्क में आने पर बिजली पैदा करती है। वहीं खारे पानी की बूंद जब ठोस सतह के संपर्क में आती है तो यह अधिक बिजली पैदा करती है। इसलिए यह उपकरण समुद्र की लहरों के साथ भी काम कर सकता है।