नई दिल्ली। केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति सबसे व्यापक, समावेशी, सर्वांगीण और भविष्य की नीति है जो शिक्षा के क्षेत्र में ऐतिहासिक बदलाव लाने का प्रयास करेगी। डॉ 'निशंक' ने एसोचैम द्वारा आयोजित 14वें राष्ट्रीय शिक्षा सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति ढाई लाख ग्राम पंचायतों, 6600 ब्लॉक, 6000 शहरी स्थानीय निकाय, 676 जिले और लगभग दो लाख सुझावों के बाद तैयार की गई।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस नीति के बारे में कहा है कि यह भारतीय छात्रों को ग्लोबल सिटीजन बनाने और उन्हें 21वीं सदी के लिए तैयार करने का काम करेगी। इसके अलावा यह नीति पहुंच, गुणवत्ता, सामर्थ्य और जवाबदेही के ठोस सिद्धांतों पर आधारित है और भारत को ‘विश्व गुरु’ बनाने की रूपरेखा तैयार करती है। केंद्रीय मंत्री ने नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति के सभी प्रावधानों के बारे में विस्तार से बताया और कहा कि यह ‘क्या सोचें के बजाय कैसे सोचें’ पर केंद्रित है।
डॉ निशंक ने नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन पर भी विस्तार पूर्वक प्रकाश डाला और एसोचैम जैसी संस्था को इसके क्रियान्वयन एवं इस नीति के महत्वपूर्ण हिस्से-छात्रों की इंटर्नशिप, अप्रेंटिसशिप और नौकरी-में भागीदारी के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने कहा, ‘‘एसोचैम जैसे संगठन जिनके पास क्षमता का एक मजबूत नेटवर्क है, को छात्रों की इंटर्नशिप और प्लेसमेंट के सबसे आवश्यक पहलू के लिए विश्वविद्यालयों और नेटवर्क के निर्माण के लिए आगे आने चाहिए।’’ डॉ निशंक ने कहा कि भारत का भविष्य उज्जवल है और हमारी नीति इसे उज्जवल बनाने का वादा करती है। इसके लिए सभी को एकजुट होकर श्रेष्ठ प्रयास करने होंगे।