नई दिल्ली। दुनिया के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज और रन मशीन भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली ने खुलासा किया है कि 2014 के इंग्लैंड दौरे की नाकामी ने उन्हें पूरी तरह से तोड़ दिया था लेकिन उन्होंने इस निराशा से ऊबरकर अपने करियर को संवारा। विराट ने गुरुवार को इंग्लैंड के पूर्व कप्तान केविन पीटरसन के साथ इंस्टाग्राम बातचीत में यह खुलासा किया। विराट ने 2014 के इंग्लैंड दौरे पर पांच टेस्ट मैचों में 134 रन बनाये थे। उन्होंने कहा कि वह दौरा उनके करियर का सबसे खराब दौर था और यह ऐसा इसलिए भी था क्योंकि वह टीम को प्राथमिकता देने की जगह अपने व्यक्तिगत प्रदर्शन को सुधारने में ज्यादा ध्यान दे रहे थे।
भारतीय कप्तान ने कहा - 2014 का इंग्लैंड दौरा मेरे जीवन का सबसे खराब दौर था। यह एक ऐसा समय था जब आप बतौर बल्लेबाज जानते हैं कि आप असफल होंगे और रन नहीं बना पाएंगे। वह ऐसा समय था जब मुझे लग रहा था कि मैं रन नहीं बना पा रहा हूं। इसके बावजूद अगली सुबह उठकर आपको खेलने जाना है और फिर आउट होना है। यह जानते हुए कि मैं असफल हो जाऊंगा, इसी बात ने मुझे अंदर तक तोड़ दिया था। उसके बाद मैंने खुद से वादा किया कि आगे से मैं ऐसा नहीं होने दूंगा।
विराट ने कहा - मैं सभी युवाओं क्रिकेटरों से कहना चाहता हूं कि मैं व्यक्तिगत रूप से अच्छा करने पर केंद्रित था। मैं रन बनाना चाहता था। मुझे इस स्थिति में समझ नहीं आ रहा था कि इस स्थिति में टीम मुझसे क्या कराना चाहती है। मैं इंग्लैंड दौरे में यही सोच रहा था कि अगर मैं यहां अच्छा प्रदर्शन करता हूं तो मैं टेस्ट क्रिकेट में स्थापित हो जाऊंगा और जो भी बाहर चल रहा वह सब बेमतलब है। लेकिन इन सबने मुझे तोड़ दिया और मेरा प्रदर्शन गिरता चला गया और मैं इससे ऊबर नहीं पाया।
दुनिया के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज ने कहा कि उन्होंने खुद को उठाया और क्रिकेट के सभी प्रारूपों में दुनिया के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज बने क्योंकि उसके बाद उन्होंने व्यक्तिगत प्रदर्शन से ऊपर उठकर अपनी टीम की जरूरतों को तवज्जो देना शुरू किया। पीटरसन ने मैच के एक दिन पहले की तैयारियों के दौरान की दिनचर्या पर पूछा, तो विराट ने कहा कि यह केवल एक मानसिक संतुलन की बात होती है और उन्होंने खुद को एक बार फिर ‘आत्म केंद्रित’ होने से चेताया।