नई दिल्ली। देश में आधारभूत संरचनाओं को वित्तीय समर्थन देने वाले एक राष्ट्रीय बैंक की स्थापना करने वाले विधेयक को लोकसभा में पेश किया गया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सदन में इस विधेयक को पेश किया। विधेयक पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस के जसबीर सिंह गिल ने इस बैंक को देश के विकास के लिए महत्वपूर्ण बताते हुए सरकार को चेताया कि यह बैंक कहीं सेवानिवृत्त नौकरशाहों की आरामगाह नहीं बन जाये। उन्होंने मांग की कि इस बैंक के बोर्ड में बैंकिंग एवं ढांचागत संरचना के पेशेवर लोगों को लाया जाये। बोर्ड में कम से कम दो चुने हुए जनप्रतिनिधि अवश्य रखें जायें तो आधारभूत संरचनाओं की जनता की जरूरतों एवं प्राथमिकताओं के बारे में राय रख सकें। गिल ने यूरोप के कुछ देशों का उदाहरण देते हुए कहा कि अगर इस प्रकार के संस्थान घाटे में आते हैं तो पूरा का पूरा निदेशक मंडल बर्खास्त हो जाता है। इसी प्रकार की व्यवस्था इस बैंक में की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह भी सुनिश्चित करने की जरूरत है कि बैंक के परिचालन व्यय में राशि का दुरुपयोग नहीं हो। सत्तापक्ष की ओर से भारतीय जनता पार्टी के जयंत सिन्हा ने कहा कि यह बैंक आत्मनिर्भर भारत के निर्माण एवं देश में आधारभूत संरचनाओं के त्वरित क्रियान्वयन में सर्वश्रेष्ठ संस्था एवं मील का पत्थर साबित होगी। इससे देश की अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी। इससे हर क्षेत्र में विश्वस्तरीय आधारभूत संरचना की जरूरत है। राष्ट्रीय आधारभूत संरचना पाइपलाइन में करीब 11 लाख करोड़ रुपए की 6000 से अधिक परियोजनाओं को शामिल किया गया है। बिजली, पानी, सड़क, बंदरगाह, हवाईअड्डे, मेट्रो आदि की इन परियोजनाओं को जल्द से जल्द क्रियान्वित करने की जरूरत है। इससे इन परियोजनाओं की लागत घट सकेगी और बड़ी संख्या में रोेजगार भी सृजित होगा। सिन्हा ने कहा कि देश इस समय चारों ओर से खतरे से घिरा है। ऐसे में सीमा पर ढांचागत सुविधाओं को सुदृढ़ करना होगा। इसमें भी वित्तपोषण की व्यवस्था इस बैंक से हो सकेगी। उन्होंने कहा कि देश में जलवायु परिवर्तन का बुरा प्रभाव पड़ रहा है जिसे देखते हुए लो-कार्बन या जीरो कार्बन संरचनाओं की जरूरत है। इससे शीघ्रातिशीघ्र बनाना होगा। यह केवल इसी बैंक के द्वारा संभव होगा। उन्होंने कहा कि यह बैंक केवल एक ऋण प्रदान करने वाली संस्था नहीं होगी बल्कि यह बाजार से विभिन्न नवान्वेषी उपायों से पूंजी जुटाएगी तथा बैंकिंग वित्त व्यवस्था एक ऐसा ईकोसिस्टम तैयार करेगी जो दुनिया के लिए एक मॉडल होगा। उन्होंने कहा कि बैंक का पहला अध्यक्ष केन्द्र सरकार चुनेगी जबकि भविष्य में यह एक पेशेवर प्रणाली द्वारा चुना जाएगा। इसी प्रकार से अन्य पेशेवरों की नियुक्तियां होगी।