नई दिल्ली। पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों से परेशान आम आदमी को आने वाले दिनों में राहत मिल सकती है। हालांकि ये तभी संभव है जब पेट्रोल-डीजल समेत अन्य पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाया जा सकता है। इसके लिए 17 सिंतबर को होने वाली जीएसटी परिषद की बैठख में विचार किए जाने की संभावना है। ऐसा माना जा रहा है कि यह एक ऐसा कदम होगा जिसके लिए केंद्र और राज्य सरकारों को राजस्व के मोर्चे पर बड़ा समझौता करना होगा। दरअसल, पेट्रोल और डीजल से ही केंद्र और राज्य दोनों को टेक्स के जरिये भारी राजस्व मिलता है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अगुवाई वाली जीएसटी परिषद में राज्यों के वित्त मंत्री भी शामिल हैं।
जीएसटी परिषद की ये बैठक शुक्रवार को लखनऊ में हो रही हैं। सूत्रों ने कहा कि इस बैठक में कोविड-19 से जुड़ी आवश्यक सामग्री पर शुल्क राहत की समयसीमा को भी आगे बढ़ाया जा सकता है। गौरतलब है कि देश में इस समय वाहन ईंधन के दाम रिकॉर्ड ऊंचाई पर हैं। ऐसे में पेट्रोल और डीजल ईंधनों के मामले में कर पर लगने वाले कर के प्रभाव को खत्म करने के लिए यह कदम उठाया जा सकता है। वर्तमान में राज्यों द्वारा पेट्रोल, डीजल की उत्पादन लागत पर वैट नहीं लगता बल्कि इससे पहले केंद्र द्वारा इनके उत्पादन पर उत्पाद शुल्क लगाया जाता है, उसके बाद राज्य उस पर वैट वसूलते हैं।
बता दें कि पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों को लेकर केरल उच्च न्यायालय ने इसी साल जून में एक रिट याचिका पर सुनवाई के दौरान जीएसटी परिषद से पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के तहत लाने पर फैसला करने को कहा था। सूत्रों ने कहा कि न्यायालय ने परिषद को ऐसा करने को कहा है। ऐसे में इसपर परिषद की बैठक में विचार हो सकता है। गौरतलब है कि देश में जीएसटी व्यवस्था 01 जुलाई, 2017 से लागू की गई थी। जीएसटी में केंद्रीय कर जैसे उत्पाद शुल्क और राज्यों के शुल्क जैसे वैट को समाहित किया गया था। लेकिन पेट्रोल, डीजल, एटीएफ, प्राकृतिक गैस तथा कच्चे तेल को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया। इसी के चलते पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर इसका कोई असर नहीं पड़ा।
अगर पेट्रोल--डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया जाता है तो इनकी कीमतें काफी कम हो सकती हैं। पेट्रोल-डीजल को जीएसटी से बाहर रखने की वजह से ही केंद्र और राज्य सरकारों दोनों को भारी राजस्व मिलता है। जीएसटी उपभोग आधारित कर है। ऐसे में पेट्रोलियम उत्पादों को इसके तहत लाने से उन राज्यों को अधिक फायदा होगा जहां इन उत्पादों की ज्यादा बिक्री होगी। उन राज्यों को अधिक लाभ नहीं होगा जो उत्पादन केंद्र हैं।