गुरुग्राम। सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन्स (सीटू) ने आज हरियाणा मंत्रिमंडल के नए उद्योगों में 1000 दिन के लिए फैक्ट्री एक्ट लागू न करने के फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि यह मजदूरों को गुलामी व बंधुआ मजदूरी की ओर ले जाएगा।
सीटू हरियाणा की प्रदेश अध्यक्ष सुरेखा और महासचिव जय भगवान के यहां जारी बयान के अनुसार हरियाणा मंत्रिमंडल के कल किये इस फैसले का का अर्थ है कि तीन साल से ज्यादा समय के लिए किसी भी प्रकार के श्रम कानून नए उद्योगों में लागू नहीं होंगे। सरकार ने औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 की दो धाराओं 5(ए), 36 (सी) को 1000 दिन तक निलंबित करने को लेकर केंद्र से मंजूरी मांगी है।
सीटू नेताओं ने आरोप लगाया कि यह पूंजीपतियों के हित में उठाया गया कदम है। इसे तुरंत वापस लिया जाना चाहिए व केन्द्र सरकार को किसी भी रूप में इस बारे स्वीकृति नहीं देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि लॉकडाऊन खुलने के बाद उद्योगों में 20 से लेकर 50 प्रतिशत की वेतन कटौती की जा रही है। इसके अलावा ‘जिस दिन काम, उस दिन वेतन‘ देने का काम किया जा रहा है। बड़े पैमाने पर स्थाई मजदूरों को नौकरी से बाहर किया जा रहा है, जÞबरन सेवानिवृत्ति मजदूरों पर थोपी जा रही है। इनके स्थानों पर कैजुअल व ठेका के तहत काम लेने की दिशा बन रही है जोकि देश के आर्थिक मंदी के हालात को और ज्यादा खराब करेगी।
सीटू नेताओं ने कहा कि कर्मचारियों के महंगाई भत्ते को जुलाई 2021 तक फ्रीज (बंद) करने का निर्णय प्रतिगामी है। यह उस समय लिया गया है जब कोरोना महामारी का मुकाबला करने में सरकारी विभाग के कर्मचारी पहली कतारों में है। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार ने मजदूरों के बारे महंगाई के आंकड़े जारी नहीं किए हैं। साल में दो बार (जनवरी और जुलाई में) जारी किये जाने वाले आंकड़े इस बार जारी नहीं किये गये परंतु सरकार इस दिशा में कुछ नहीं कर रही।
सीटू नेताओं ने कहा कि लॉकडाऊन काल के दौरान 99 प्रतिशत मालिकों ने मजदूरों को वेतन का भुगतान नहीं किया। उन्होंने सरकार से मांग की है कि श्रम कानूनों को सख्ती से लागू करवाना सुनिश्चित किया जाए व मजदूरों को बंधुआ बनाने वाले प्रस्तावों को तुरंत निरस्त किया जाए अन्यथा सीटू अन्य कर्मचारी संगठनों के साथ मिलकर आंदोलन करेगी।