धर्मशाला। कोरोना वायरस औैर लॉकडाऊन से बेरोजगार होकर हिमाचल प्रदेश लौटे लोगों के लिए कांगड़ा जिला प्रशासन ने मनरेगा समग्र योजना लाई है जिसके तहत वह प्रदेशवासी जो मनरेगा के तहत मजदूरी या अन्य कार्य करने में सक्षम नहीं हैं, अपना कार्य शुरू कर सकते हैं। प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार जो प्रदेशवासी दूसरे राज्यों में कुशल या अर्धकुशल नौकरियों में थे और नौकरियां छोड़कर लौटे हैं उन्हें यहां स्वरोजगार मुहैया कराने के लिए यह पहल शुरू की गई है।
हालांकि इसका लाभ जिले के अन्य लोगों को भी मिल सकेगा जो अपनी जमीन पर अपना कार्य शुरू करना चाहते हैं। प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार योजना का उद्देश्य ग्रामीण कृषि अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना है और इसके तहत कृषि, बागवानी, मछलीपालन व पशुपालन जैसी गतिविधियों को प्रोत्साहित किया जायेगा। इसके लिए लोगों को अपनी पंचायत या खंड विकास कार्यालय में आवश्यक दस्तावेजों के साथ आवेदन देना होगा।
योजना के तहत उन सभी कार्यों को इसमें शामिल किया गया है जो मनरेगा अधिनियम के तहत स्वीकृत हैं हालांकि समग्र के तहत उन कार्यों को, जो मनरेगा सूची में नहीं हैं, भी संबद्ध खंड विकास अधिकारी ग्राम पंचायत की अनुशंसा से शामिल कर सकता है। अतिरत् उपायुक्त राघव शर्मा ने यूनीवार्ता को बताया कि चालू वित्त वर्ष में मनरेगा के तहत कृषि, बागवानी, मछलीपालन और पशु पालन से संबंधित कार्यों को प्राथमिकता देने की कोशिश की जा रही है।
योजना के तहत वैयक्तिक कार्य (खाद् का गड्ढा, बकरियों, गायों, मुर्गियों के लिए शेड आदि के निर्माण के लिए, सूअर पालन, फलों के पौधे लगाना, फूलों की नर्सरी आदि) के प्रकार के अनुसार नौ हजार रुपये से एक लाख रुपये तक की वापस न लौटाई जाने वाली वित्तीय सहायता मुहैया कराई जाएगी। उपायुक्त राकेश प्रजापति ने कहा कि समग्र के तहत प्रक्रिया समयबद्ध है और शिकायत निवारण प्रणाली सीएम सेवा संकल्प हेल्पलाइन 1100 के तहत उपलब्ध है। सभी खंड विकास अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि इन कार्यों को त्वरित मंजूरी दें।