भोपाल। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि नवकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देकर सर्वश्रेष्ठ परिणाम हासिल करेंगे। प्रदेश के कुल विद्युत उत्पादन में नवकरणीय ऊर्जा की हिस्सेदारी 20 प्रतिशत है, जिसे निरंतर बढ़ाया जाएगा। मुख्यमंत्री चौहान ने आज वीडियो कान्फ्रेंस द्वारा तीसरे वैश्विक नवकरणीय ऊर्जा निवेश सम्मेलन ‘‘थर्ड ग्लोबल आरई इन्वेस्ट रिनेवेबिल एनर्जी इन्वेस्टर्स मीट एण्ड एक्स-पो’’ के सत्र को संबोधित करते नवकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में निवेशकों को मध्यप्रदेश आने का आमंत्रण दिया और कहा कि मध्यप्रदेश इस क्षेत्र में आदर्श प्रदेश है।
निवेशकों को सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएंगी। प्रदेश के मुरैना, सागर, दमोह और रतलाम जिलों में 5 हजार मेगावाट क्षमता के सोलर पार्क के लिए भूमि चिन्हित कर ली गई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सौर ऊर्जा परियोजनाओं को जमीन पर उतारने के स्वप्न को साकार करने में मध्यप्रदेश सहभागी बनेगा। नवकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देने के लिए समस्त बाधाओं को दूर कर सर्वश्रेष्ठ परिणाम प्राप्त किए जाएंगे। उन्होंने मध्यप्रदेश में नवकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में प्रगति की जानकारी देते हुए बताया वर्ष 2012 में 438 मेगावॉट से बढ़कर आज 5000 मेगा वाट नवकरणीय ऊर्जा उत्पादन हो रहा है, जो 12 गुना ज्यादा है।
रीवा में विश्व की बड़ी परियोजनाओं में 750 मेगावाट क्षमता की सौर ऊर्जा परियोजना स्थापित की गई। इस परियोजना से प्राप्त बिजली की कीमत सबसे कम 2.97 प्रति यूनिट प्राप्त हुई। देश में यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि थी। गत वर्षो में नवकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में 25 हजार करोड़ रुपए का निवेश हुआ है। मध्यप्रदेश में 21 हजार 500 सोलर पंप स्थापित किए गए हैं।
वर्ष 2022 तक एक लाख सोलर पंप की स्थापना का लक्ष्य है। अक्षय ऊर्जा उपकरणों के विक्रय के लिए सभी जिलों में निजी इकाइयों को प्रोत्साहित कर 244 अक्षय ऊर्जा शॉप प्रारंभ की गई है। नवकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में मध्यप्रदेश वर्ष 2022 तक एक लाख मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन करने का प्रयास करेगा। प्रदेश का सौर ऊर्जा उत्पादन 5 हजार से बढ़ाकर 10 हजार मेगावाट तक किया जाएगा।