कुम्भकर्ण रामायण के एक प्रमुख पात्र का नाम है। वह ऋषि व्रिश्रवा और राक्षसी कैकसी का पुत्र तथा लंका के राजा रावण का छोटा भाई था। कुम्भ अर्थात घड़ा और कर्ण अर्थात कान, बचपन से ही बड़े कान होने के कारण इसका नाम कुम्भकर्ण रखा गया था। यह विभीषण और शूर्पनखा का बड़ा भाई था। आज हम आप लोगों को रावण के छोटे भाई कुंभकरण से जुड़े पांच ऐसी बातों के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे शायद आप लोगों को मालूम नहीं होगा।
1- रावण और कुंभकरण ने कठोर तपस्या किया उसके बाद ब्रह्मा जी प्रसन्न हो गए जिसके बाद रावण और विभीषण को ब्रह्मा जी ने तो वरदान दे दिया। लेकिन कुंभकरण को वरदान देते वक्त ब्रह्माजी जी चिंतित थे। जिसके बाद ब्रह्मा जी के आदेश अनुसार सरस्वती ने कुम्भकर्ण के जिव्हा में आकर विराजमान हो गए इसके चलते कुंभकर्ण में 6 महीने सोने का वरदान मांग लिया।
2- कुंभकरण काफी ज्यादा शक्तिशाली था और उसका सामना करने वाला उस समय कोई भी नहीं था कुम्भकर्ण मदिरा पीकर 6 महीने के लिए सो जाता था लेकिन जब जाता था तो वह तीनों लोक में हाहाकार मचा देता था।
3- बात उस समय की है जब भगवान श्री राम और रावण का युद्ध चल रहा था इसके बाद भगवान श्री राम ने रावण के अनेक योद्धाओं का वध कर दिया जिसके चलते रावण ने अपने छोटे भाई कुम्भकर्ण को जगाया लेकिन जब उपकरणों को पता चला कि रावण ने माता सीता का हरण कर लिया है तो कुम्भकर्ण को बहुत दुख हुआ था।
4- कुंभकरण को तत्वों का ज्ञान देवर्षि नारद जी ने दिया था।
5- कुंभकरण को पता था कि राम से रावण युद्ध नहीं जी सकता था लेकिन रावण का मान रखने के लिए कुंभकर्ण ने में भगवान श्री राम के साथ युद्ध किया युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुआ।