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Astrology

भगवान गणेश की कैसे और क्यों हुई दो शादियां, जानिए पौराणिक कथा

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Sep 23 2023 5:29PM | Updated Date: Sep 23 2023 5:29PM
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गणेश उत्सव की धूम पूरे देश में देखने को मिल रही है। गणेश चतुर्थी से शुरू हुआ ये पर्व 10 दिनों तक मनाने की परंपरा है जिसके बाद बप्पा की प्रतिमा का श्रद्धा भाव से विसर्जन कर दिया जाता है। जैसे जैसे समय बीतता जा रहा है वैसे वैसे बप्पा की विदाई का समय भी नजदीक आता जा रहा है। गणेश उत्सव के मौके पर हम भी आपको बप्पा से जुड़ी कई रोजच जानकारी लगातार पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं। इसी कड़ी में आज बात भगवान गणेश के विवाह की करेंगे।

ये तो हर किसी को पता है कि भगवान गणेश की दो शादियां हुई थीं, एक रिद्धि से और दूसरी सिद्धि से और उनसे उनके दो पुत्र हुए जिन्हें हम शुभ और लाभ के तौर पर जानते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान गणेश की दो शादियां क्यों हुई, ऐसी कौन सी परिस्थिति उत्पन्न हो गई कि गणेश जी को रिद्धि और सिद्धि, दोनों से विवाह करना पड़ा, इसके पीछे क्या रहस्य है और पौराणिक कथाओं में इसका क्या वर्णन ने आइए जानते हैं।

भगवान गणेश के विवाह को लेकर मुख्य रूप से दो कथाएं प्रचलित हैं। इनमें से एक कथा में तुलसी का वर्णन मिलता है, साथ में ये भी बताया गया है कि आखिर भगवान गणेश को तुलसी दल क्यों नहीं अर्पित किया जाता। पौराणिक कथा के मुताबिक एक बार भगवान गणेश तपस्या कर रहे थे तभी वहां से गुजर रहीं तुलसी की नजर उन पर पड़ी और वो भगवान गणेश पर मोहित हो गई। वह उनसे विवाह करना चाहती थी। लेकिन भगवान गणेश ब्रह्मचर्य का पालन करने लगे थे, इसलिए उन्होंने तुलसी से विवाह करने से इनकार कर दिया। विवाह प्रस्ताव ठुकराए जाने से नाराज तुलसी ने भगवान गणेश को श्राप दिया की उनके दो विवाह होंगे। इस पर भगवान गणेश ने भी तुलसी को श्राप दे दिया कि उनका विवाह एक असुर से होगा। मान्यता है कि इसके बाद से भी भगवान गणेश को तुलसी अर्पित करना वर्जित माना गया है।

एक अन्य पौराणिक कथा के मुताबिक भगवान गणेश की शरीर की बनावट के चलते कोई भी उनसे विवाह नहीं करना चाहता था। इससे परेशान होकर वह ब्रह्मचर्य का पालन करने लगे। इसी के साथ वह अन्य किसी का विवाह भी नहीं होने देते थे। जिस किसी का भी विवाह होता था, वो उसमें विघ्न उत्पन्न कर देते थे। उनके इस काम में उनका वाहन मूषक भी उनका साथ देता था। उनकी इस आदत से देवी देवता काफी परेशान रहने लगे।

इस समस्या को लेकर एक दिन वह ब्रह्माजी के पास पहुंचे। देवी देवताओं की परेशानी सुन ब्रह्माजी ने अपनी दोनों मानस पुत्रियों को गणेश जी के पास शिक्षा लेने भेजा। भगवान गणेश ब्रह्मा जी की आज्ञा मानते हुए उनकी दोनों पुत्रियों को शिक्षा देने लगे। इस बीच जब भी किसी विवाह की सूचना आती तो रिद्धि सिद्धि भगवान गणेश और मूषक राज दोनों का ध्यान भटका देतीं, जिससे धीरे-धीरे विवाह होने लगे। लेकिन ये बात ज्यादा दिनों तक भगवान गणेश से छिप नहीं पाई। जैसे ही उन्हें रिद्धि सिद्धि के इस काम के बारे में पता चला, वह काफी क्रोधित हुए। वह रिद्धि सिद्धि को श्राप देने ही वाले थे कि तभी ब्रह्माजी वहां पहुंच गए और उन्होंने भगवान गणेश को सुझाव दिया कि वो रिद्धि सिद्धि से ही विवाह कर लें। ब्रह्माजी के सुझाव को मानते हुए भगवान गणेश ने रिद्धि सिद्धि से विवाह किया और इस तरह उनकी दो शादी हो गईं।

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