सुहागिन महिलाओं का बहुप्रतीक्षित करवा चौथ का व्रत इस साल 17 अक्टूबर दिन गुरुवार को पड़ रहा है। यह व्रत कार्तिक मास कृष्ण पक्ष चतुर्थी को मनाया जाता है जो कि इस बार 17 अक्टूबर को है। करवा चौथ के दिन महिलाएं काफी नियम से सारे काम करती है। पूजा करने से लेकर सरगी तक कई नियम होते हैं। जिसका पालन सही तरीके से करना चाहिए। क्योंकि गलत तरीके से किए गए कार्यों का फल हमेशा बुरा होता है।
यह पर्व महिलाओं के लिए सबसे खास होता है। वर्ष भर उन्हें इस व्रत की प्रतीक्षा रहती है। पर्व आने से पूर्व उनके विशेष परिधान भी तैयार होने लगते हैं। वैसे तो सभी रंग निर्दोष होते हैं लेकिन पारंपरिक रूप से कुछ रंगों को शुभ कार्य से दूर रखा जाता है। आइए जानें सौभाग्य के इस त्योहार पर किन 5 रंगों से बचना चाहिए।
काला : यह रंग अशुभता का प्रतीक है। इस रंग का प्रयोग सिवाय मंगलसूत्र के दानों के परिधान या श्रृंगार में न करें।
सफेद : यह रंग यू तो शांति और सौम्यता का प्रतीक है लेकिन सादगी का यह रंग श्रृंगार के पर्व पर वर्जित माना जाता है। उपवास वाले दिन महिलाओं को किसी अन्य व्यक्ति को शकर, दूध, दही, चावल और सफेद वस्त्र नहीं देने चाहिए।
नीला : यह रंग अत्यंत खूबसूरत है लेकिन उत्तरप्रदेश और राजस्थान के कुछ भागों में मोर की गर्दन वाले नीले रंग को पूजा कार्यों में नहीं शामिल किया जाता है। अत: इस दिन इस रंग से भी बचें।
भूरा : यह रंग भी आंखों को नहीं लुभाता है और त्योहार पर कोशिश यह होनी चाहिए कि आंखों को सुंदर लगने वाले रंग ही पहने जाएं। यूं भी यह रंग राहु और केतु का प्रतिनिधित्व करता है। अत: भूरे रंग से भी यथासंभव बचें।
स्लेटी या कोई भी दबा हुआ हल्का रंग :स्लेटी और इस तरह के मटमैले दबे रंग फैशन में इन हो सकते हैं लेकिन शुभ कार्यों में इनसे बचा जाना चाहिए।