व्लादिमीर पुतिन पांचवीं बार रूस के राष्ट्रपति बनने के बाद अपने पहले आधिकारिक दौरे पर चीन पहुंच चुके हैं। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने गुरुवार को राजधानी के ग्रेट हॉल ऑफ द पीपल के बाहर एक सैन्य बैंड और बंदूकों की सलामी के साथ व्लादिमीर पुतिन का गर्मजोशी से स्वागत किया।
ये यात्रा चीन और रूस की 75वीं वर्षगांठ के वक्त हो रही है। जिस पर व्लादिमीर पुतिन ने कहा, “इस साल हमारे देश राजनयिक संबंधों की स्थापना की 75वीं वर्षगांठ मना रहे हैं और अगले साल एक और बड़ी और बहुत महत्वपूर्ण सालगिरह होगी जोकि द्वितीय विश्व युद्ध में विजय की 80वीं वर्षगांठ है।”
पुतिन ने शी जिनपिंग से मुलाकात के बाद अपने संबोधन की शुरुआत में दोनों देशों के आर्थिक संबंधों की सराहना करते हुए कहा कि रूस और चीन की साझेदारी अंतर्राष्ट्रीय स्तर सबसे मजबूत साझेदारियों में से एक है। चीन के राष्ट्रपति शी ने मॉस्को और बीजिंग के बीच दोस्ती पर जोर देते हुए कहा कि वह और पुतिन एक-दूसरे को रणनीतिक मार्गदर्शन देते हैं। उन्होंने कहा कि उनका देश दुनिया भर में निष्पक्षता और न्याय को कायम रखेंगे।
पुतिन की ये यात्रा ऐसे समय पर हो रही है, जब यूक्रेन में रूसी सेना आगे बढ़ती जा रही और नाटो देश सीधे जंग की चेतावनी दे रहे हैं। साथ पश्चिमी देश चीन पर आरोप लगा रहे हैं कि चीन युद्ध में इस्तेमाल होने वाला सामान भी रूस को भेज रहा है। इस दौरे में पुतिन के साथ एक हाई लेवल डेलीगेशन भी आया है, जिसमें नए रक्षा मंत्री आंद्रेई बेलौसोव और पूर्व रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु, जो अब सुरक्षा परिषद के सचिव हैं शामिल हैं। इस यात्रा में रूस और चीन के बढ़ते रक्षा सहयोग पर भारी ध्यान केंद्रित होने की उम्मीद है।
पश्चिमी प्रतिबंधों की वजह से रूस की अर्थव्यवस्था चीन पर निर्भर हो गई है। जानकारों को उम्मीद है कि पुतिन इस यात्रा में इन प्रतिबंधों के आसपास कैसे काम किया जाए इस पर चर्चा करेंगे। साथ ही पुतिन का भाषण संकेत देता दिख रहा है कि चीन यूक्रेन युद्ध रुकवाने में अहम रोल निभा सकता है। पुतिन ने संबोधन के दौरान शी की यूक्रेन शांति योजना की तारीफ की, हालांकि ये पीस प्लान काफी हद तक क्रेमलिन की बात को ही दोहराता है। इससे प्रतीत होता है कि आने वाले दिनों में चीन यूक्रेन और रूस के बीच शांति समझौते की पहल कर सकता है।