ब्रिटिश संसद में पेश किए जाने वाले विधेयकों को परखने वाली हाउस ऑफ लार्ड्स की एक समिति ने भारत को ब्रिटेन की विस्तारित सुरक्षित देशों की सूची में शामिल किये जाने पर चिंता प्रकट की। भारत के इस सूची में होने के कारण अवैध रूप से ब्रिटेन में प्रवेश करने वाले भारतीय शरण नहीं पा सकेंगे। बता दें कि हाउस ऑफ लार्ड्स ब्रिटिश संसद के ऊपरी सदन को कहते हैं। ‘हाउस ऑफ लॉर्डस’ की बहुदलीय ‘सेंकेंडरी लेजिलेशन स्क्रूटनी कमेटी’ ने ‘ राष्ट्रीयता, आव्रजन एवं शरण अधिनियम, 2002 (सुरक्षित देशों की सूची में संशोधन) विनियम, 2024 पर गौर किया और शुक्रवार को जारी हुई एक रिपोर्ट में ‘बेबुनियाद’ मानवाधिकार दावे से निपटने पर लक्षित नीति की अहम सूचना के नहीं होने पर प्रश्न उठाया है।
इस माह के प्रारंभ में पूर्व गृहमंत्री सुएला ब्रैवरमैन ने ‘हाउस ऑफ कॉमंस’ में मसौदा विनियम पेश किया था। इससे पहले इस तथ्य को लेकर ‘कड़ा आकलन’ किया था कि जार्जिया और भारत भी सूची में शामिल किये जाने लायक हैं। समिति की सदस्य लिबरल डेमोक्रेट एंजिला हैरीस ने कहा, ‘‘मोटे तौर पर हमारा मानना है कि इस विषय पर मत भिन्नता की गुजाइंश है कि क्या अपने मानवाधिकार रिकार्ड के आधार पर भारत एवं जार्जिया ‘सुरक्षित देश’ हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘ गृह विभाग ने भी इस विषय पर कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया है कि इन देशों के नागरिकों के शरण पाने संबंधी मौजूदा दावों के 'बैकलॉग' पर पहले की तरह काम करते हुए उन्हें निपटाया जाएगा या फिर उन्हें पूर्व की तारीख से अस्वीकार्य माना जाएगा। संपूर्ण तौर पर, हमने पाया कि इस मसौदा विनियम में दी गयी व्याख्या संबंधी सामग्री इस बात पर स्पष्ट तस्वीर पेश नहीं करती है कि उन्हें अमल में कैसे लाया जाएगा।’’
समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि उसे एक आवेदन मिला जिसमें बताया गया है कि भारत और जार्जिया में मानवाधिकार उल्लंघन ‘बड़े पैमाने पर’ है। रिपोर्ट में यह कहा गया है कि ब्रिटिश गृहमंत्री जेम्स क्लीवरली को इस प्रश्न का उत्तर देना पड़ सकता है कि गृह विभाग विस्तारित सूची में इन दोनों देशों को शामिल करने के नतीजे पर कैसे पहुंचा।