गाजा की जंग इजराइल और अमेरिका के लिए संकट बनती जा रही है. अरब में बने अमेरिकी सैन्य ठिकाने मिलिटेंट ग्रुप्स का निशाना बन रहे हैं. 72 घंटे में अरब के हथियारबंद संगठन अमेरिका के सैन्य ठिकानों पर 8 मिसाइल और ड्रोन हमले कर चुके हैं. बाइडेन समझ रहे हैं कि ये संकट बढ़ा तो नुकसान बड़ा होगा. इसलिए जंग के साथ-साथ डिप्लोमेसी तेज कर दी गई है. अमेरिका इजराइल और गाजा युद्ध का ‘कोड 1967’ समाधान निकाल रहा है. जानिए क्या है अमेरिका का प्लान और क्या इससे युद्ध शांत हो पाएगा?
अरब में सक्रिय हथियारबंद संगठनों को आतंकी संगठन या नॉन स्टेट एक्टर्स कहा जाता है, लेकिन इन संगठनों को स्टेट्स का भी समर्थन होता ही है. इसलिए लेबनान की सीमा से हिजबुल्लाह संगठन के लड़ाके इजराइली सीमा में रॉकेट और मिसाइल हमले कर रहे हैं. इराक और सीरिया में बने अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर हमले किए जा रहे हैं. 20 अक्टूबर की रात एक बार फिर अमेरिका के सैन्य ठिकानों पर हथियारबंद संगठन हमला करने में कामयाब रहे. 20 अक्टूबर को इराकी कुर्दिस्तान में US बेस पर हमला हुआ. ये हमला अल-हरीर बेस पर किया गया. इससे पहले इराक और सीरिया में US बेस पर 8 ड्रोन और मिसाइल हमले हुए. इन हमलों की जिम्मेदारी इस्लामिक रेसिस्टेंस ने ली है. 19 अक्टूबर को हूती विद्रोही संगठन ने 9 घंटे तक लगातार इजराइल और अमेरिकी सेना पर हमले किए. रेड सी में तैनात USS कार्नी ने 4 क्रूज मिसाइल और 15 ड्रोन इंटरसेप्ट किए, जिनका संभावित टारगेट US नेवल बेड़ा और इजराइल थे.
हमले सिर्फ अमेरिका पर ही नहीं हो रहे हैं, बल्कि इजराइल और हिजबुल्लाह की जंग दक्षिणी लेबनान में जारी है. हिजबुल्लाह के लड़ाकों ने 20 अक्टूबर को लेबनान सीमा के नजदीक इजराइल पर रॉकेट हमला किया, इस हमले में इजराइल का कम्युनिकेशन और निगरानी टावर ध्वस्त हो गया. लेबनान सीमा से आने वाले रॉकेट का जवाब इजराइली सेना भी दे रही है. सवाल ये है कि इजराइल पर हमलों के साथ-साथ आखिर अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर आतंकी संगठनों के हमले क्यों शुरू हो गए हैं, तो इसका जवाब है गाजा में युद्ध रोकना और अमेरिका पर दबाव बनाना. ईरान, सीरिया, लेबनान मिलकर गाजा पर हमला रोकना चाहते हैं. सऊदी अरब की मांग है कि इजराइल को उतना क्षेत्र ही सौंपा जाए जितना 1967 में उसके पास था.