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अफगानिस्तान की करेंसी ने कर दिया बड़ा कारनामा, कई देशों को पीछे छोड़ हासिल किया ये तमगा

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Sep 27 2023 5:00PM | Updated Date: Sep 27 2023 5:00PM
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तालिबान की सत्ता में वापसी के बाद अफगानिस्तान की स्थिति लगातार बदतर हुई है लेकिन इसी बीच खबर आई है कि अफगानिस्तान की करेंसी दुनिया की सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाली करेंसी बन गई है। ब्लूमबर्ग ने जो आंकड़े जमा किए हैं, उससे यह बात सामने आई है कि अफगानिस्तान की करेंसी अफगानी इस तिमाही में दुनिया में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाली करेंसी बनकर उभरी है। इस अवधि के दौरान अफगानी के मूल्य में उल्लेखनीय नौ प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है।

अफगानिस्तान की करेंसी में मजबूती का मुख्य कारण उसे मिलने वाली अरबों डॉलर की मानवीय मदद और एशिया के पड़ोसी देशों के साथ व्यापार में बढ़ोतरी है। तालिबान ने दो सालों पहले अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जा किया था। इसके बाद से ही अपनी करेंसी को मजबूत करने के लिए तालिबानी शासकों ने कई उपाय किए हैं। इन उपायों में स्थानीय लेनदेन में डॉलर और पाकिस्तानी रुपये के इस्तेमाल पर रोक लगाना और डॉलर को देश से बाहर जाने से रोकने के लिए सख्त प्रतिबंध लगाना शामिल है। इन नियमों का उल्लंघन करने वालों को जेल की धमकी भी दी गई है। हालांकि, अब भी अफगानिस्तान सबसे खराब वैश्विक मानवाधिकार रिकॉर्ड वाला गरीबी से जूझ रहा देश बना हुआ है।

तालिबान की करेंसी अफगानी ने इस साल अब तक कुल 14% की बढ़ोतरी दर्ज की है। अफगानिस्तान की करेंसी कोलंबिया और श्रीलंका की करेंसी को पीछे छोड़कर वैश्विक सूची में तीसरे स्थान पर आ गई है। अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के कारण अफगानिस्तान वैश्विक वित्तीय प्रणाली से काफी हद तक अलग-थलग पड़ा है। विश्व बैंक की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि अफगानिस्तान उच्च बेरोजगारी से जूझ रहा है और वहां के दो-तिहाई परिवार अपनी बुनियादी जरूरतों को भी पूरा नहीं कर पा रहे हैं। अफगानिस्तान की आर्थिक दिक्कतें कम करने के लिए संयुक्त राष्ट्र 2021 के अंत से गरीबों के लिए नियमित रूप से पैसे भेज रहा है। संयुक्त राष्ट्र कम से कम 18 महीनों तक 4 करोड़ रुपये अफगानिस्तान को भेजेगा।

अफगानिस्तान में वर्तमान में विदेशी मुद्रा विनिमय यानी विदेशी मुद्रा को दूसरी करेंसी में बदलने (मनी चेंजर) का पहला साधन फिलहाल सर्राफ हैं। सर्राफ शहरों और गांवों में दुकानों के बाहर लगने वाले स्टॉल हैं। राजधानी काबुल में सराय शहजादा के नाम से मशहूर बाजार में रोजाना करोड़ों डॉलर का लेन-देन होता है। यह बाजार देश के वास्तविक वित्तीय केंद्र के रूप में काम करता है। वित्तीय प्रतिबंधों के कारण, अफगानिस्तान को भेजा जाने वाला सारा पैसा अब हवाला धन हस्तांतरण प्रणाली पर निर्भर है। सर्राफ का कारोबार काफी हद तक इसी सिस्टम पर काम करता है। संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि अफगानिस्तान को इस साल लगभग 3.2 अरब डॉलर की सहायता की जरूरत है, लेकिन यूएन की वित्तीय ट्रैकिंग एजेंसी के अनुसार, केवल 1.1 अरब डॉलर ही प्रदान किए गए हैं।

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