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शख्स को SDM ने 3 दिन हिरासत में रखा, अब राज्य सरकार को देना होगा इतना मुआवजा

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Apr 20 2024 5:59PM | Updated Date: Apr 20 2024 5:59PM
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प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को एक शख्स को लगभग 3 दिनों तक गैरकानूनी हिरासत में रखने के कारण 25,000 रुपये के मुआवजे का भुगतान करने का निर्देश दिया। जौनपुर में उप-जिला मजिस्ट्रेट (एसडीएम) की कुछ चूकों के कारण शख्स को अवैध हिरासत में रखा गया था। ‘बार एंड बेंच’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक रमेश चंद गुप्ता बनाम राज्य मामले में हाईकोर्ट ने एक आपराधिक रिट याचिका पर सुनवाई के बाद यह फैसला दिया। हाईकोर्ट को बताया गया था कि रमेश गुप्ता को जनवरी 2022 में हिरासत में लिया गया था। जब जौनपुर पुलिस ने दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 151 (संज्ञेय अपराध को रोकने के लिए गिरफ्तारी), 107 (शांति बनाए रखने के लिए सुरक्षा) और 116 (जांच) का जिक्र करते हुए कार्रवाई की थी।

जस्टिस सिद्धार्थ और जस्टिस सुरेंद्र सिंह की पीठ ने पाया कि जब 10 जनवरी को गुप्ता को मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया था, तब एसडीएम ने कानून के खिलाफ काम किया था। इसके बाद हाईकोर्ट ने 10 जनवरी से 13 जनवरी 2022 के बीच गैरकानूनी हिरासत के लिए राज्य सरकार को गुप्ता को मुआवजा देने का आदेश दिया। हाईकोर्ट के आदेश में कहा गया कि ‘याचिकाकर्ता को 10.01.2022 से 13.01.2022 तक प्रतिवादी संख्या 3 (SDM) द्वारा अवैध निरोध के लिए ₹25,000/- के मुआवजे और ₹10,000/-के मुकदमेबाजी खर्च का हकदार माना जाता है।’

इस मामले में गौरतलब है कि राज्य पुलिस ने 2021 में गुप्ता के खिलाफ एक एफआईआर दर्ज की थी। जिसमें भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 147 (दंगा करने की सजा), 427 (शरारत), 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान), 452 (आवास-अतिक्रमण), 323 (चोट), 354 (महिला से छेड़छाड़ या किसी महिला की लज्जा भंग करने के इरादे से हमला या आपराधिक बल) और 506 (आपराधिक धमकी) का उल्लेख किया गया था। बाद में हाईकोर्ट ने गुप्ता के पक्ष में एक आदेश पारित किया। जब उसने यह कहते हुए एक रिट याचिका दायर की कि उसे इन अपराधों के संबंध में गिरफ्तार नहीं किया जा सकता, क्योंकि इन अपराधों में सात साल या उससे कम की जेल की सजा का कानून है।

हाईकोर्ट के आदेश की एक संशोधित प्रति 18 दिसंबर, 2021 को न्यायालय की वेबसाइट पर उपलब्ध कराई गई थी। हालांकि, जब अधिकारियों को पता चला कि हाईकोर्ट ने रमेश गुप्ता के पक्ष में ऐसा आदेश पारित किया है, तो गुप्ता को दंड प्रक्रिया संहिता के तहत शांति भंग रोकने की शक्ति का हवाला देते हुए 9 जनवरी, 2022 को पुलिस द्वारा आरोप लगाया गया और गिरफ्तार कर लिया गया। गुप्ता को पूरी रात हिरासत में रखा गया और 10 जनवरी, 2022 को एसडीएम के सामने पेश किया गया। इस समय, कोई जमानत आवेदन दायर नहीं किया गया था। 11 जनवरी, 2022 को, गुप्ता ने एक जमानत आवेदन जमा किया। हालांकि उस जमानत आवेदन पर 13 जनवरी, 2022 तक एसडीएम ने विचार नहीं किया। इस बीच वह हिरासत में रहा और 13 जनवरी, 2022 को ही रिहा हुआ।

 
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