लखनऊ। वित्त आयोग ने मंगलवार को स्वीकार किया कि उत्तर प्रदेश को एक ट्रिलियन डालर की अर्थव्यवस्था बनाये बगैर भारत को पांच ट्रिलियन इकोनॉमी बनाना मुमकिन नहीं है और इसके लिये प्रदेश को अपनी वृद्धि दर में 'बहुत सुधार' करना होगा। वित्त आयोग के एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और मंत्रिपरिषद के अन्य सदस्यों से मुलाकात की बाद में आयोग के अध्यक्ष एन.के. सिंह ने लोकभवन में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में कहा‘‘ भारत को पांच ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी बनाने के लक्ष्य की प्राप्ति के लिये उत्तर प्रदेश को एक ट्रिलियन का योगदान करना होगा।
यूपी को इस लक्ष्य तक पहुंचाने के लिये एक नयी वृद्धि लाने की आवश्यकता है। जब तक यूपी एक ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था वाला प्रदेश नहीं बनेगा, तब तक भारत पांच ट्रिलियन इकॉनमी नहीं बन सकेगा।’’उन्होंने शंका जताते हुये कहा कि उत्तर प्रदेश अगर इसी रफ्तार से चला तो एक ट्रिलियन इकॉनमी नहीं बन पायेगा, लेकिन अगर विकास की रफ्तार में पूर्ण क्षमता से तेजी लायी जाए तो यह लक्ष्य हासिल करना कोई बड़ी बात नहीं है हालांक इसमें सुधार की काफी गुंजाइश है। उत्तर प्रदेश को एक ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था बनाने के लिये आयोग की तरफ से कोई पैकेज दिये जाने की सम्भावना के सवाल पर सिंह ने कहा कि आयोग की टीम ने अब तक देश के 27 राज्यों का दौरा किया है।
कोई भी ऐसा राज्य नहीं है जिसने विशेष पैकेज न मांगा हो। राशि सबके समक्ष है। क्या मापदंड प्रयोग किये जाएं और उन्हें कितना वजन दिया जाए और केन्द्र तथा राज्यों के बीच किस फार्मूला के आधार पर राशि का विभाजन किया जाए, यह चुनौतियां आयोग के सामने हैं। इसके लिये आपको आयोग की रिपोर्ट का इंतजार करना होगा। सिंह ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास के लक्ष्यों के मामलों में उत्तर प्रदेश की वर्तमान स्थिति सराहनीय नहीं है मगर शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्रों को प्राथमिकता दी जाए। मापदण्ड के अनुरूप सरकार ने आयोग के सामने जो आज जो कार्यक्रम पेश किये हैं, उन पर आयोग की विशेष सहानुभूति रहेगी।
यूपी में किस तरह से जिला अस्पतालों को मेडिकल कॉलेजों में तब्दील किया जाए इस बारे में आयोग के जो विचार हैं, उन पर अगर कार्य हुआ तो प्रदेश को फायदा होगा। उन्होने यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश में व्याप्त सम्भावनाएं उसके सामने खड़ी चुनौतियों के मुकाबले बहुत ज्यादा हैं। राज्य ने पिछले दो वर्षों में जो सकल घरेलू उत्पाद दर हासिल की है वह राष्ट्रीय औसत से ज्यादा है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश ने अपने वित्तीय संचालन को सही रूप से किया गया है।
आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने 'उदय योजना' ग्रहण की लेकिन उसकी कुछ शर्तों का सम्पूर्ण रूप से पालन नहीं हो सका, जैसे कि बिजली ट्रांसमिशन की लागत अब भी ज्यादा है। वित्तीय घाटा भी 11 हजार करोड़ से बढ़कर 18 हजार करोड़ रुपये हो गया है। मगर सरकार का लक्ष्य है कि वह आने वाले दो वर्षों में यह निर्धारित मापदण्ड के अनुरूप हो जाएगा।