नई दिल्ली। कर्नाटक के परिवारा, तलवारा और सिद्धि समुदायों को संविधान की अनुसूचित जनजाति सूची में शामिल करने वाले ‘संविधान (अनुसूचित जनजातियां) आदेश (दूसरा संशोधन) विधेयक 2019 को राज्यसभा ने गुरूवार को ध्वनिमत से पारित कर दिया। सदन में लगभग एक घंटे तक चली चर्चा का जवाब देते हुए जनजातीय मामलों की राज्यमंत्री रेणुका सिंह सरूता ने कहा कि सरकार आदिवासी समाज के कल्याण और सशक्तिकरण के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि 21 राज्यों की विभिन्न जातियों को अनुसूचित जनजाति सूची में शामिल करने के प्रस्ताव केन्द्र के पास लंबित है जिन पर विचार किया जा रहा है।
उनके जवाब के बाद सदन ने विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया। उन्होंने कहा कि परिवारा, तलवारा और सिद्धि जातियों को एसटी सूची में शामिल करने से इन समुदायों को सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में विशेष लाभ मिल सकेंगे। कांग्रेस के बी के हरिप्रसाद ने विधेयक का समर्थन किया और कहा कि इससे कर्नाटक के आदिवासी समाज को लाभ मिलेगा। भारतीय जनता पार्टी के के सी राममूर्ति ने कन्नड भाषा में वक्तव्य देते हुए कहा कि यह फैसला पहले हो जाना चाहिए था। तृणमूल कांग्रेस के अबीर रंजन विसवास ने कहा कि पश्चिम बंगाल की भी कई जातियों को एसटी सूची में शामिल करना चाहिए।
उन्होंने विधेयक का समर्थन किया। अन्नाद्रमुक की विजिला सत्यानाथन ने कहा कि एसटी सूची को लेकर राज्यों के साथ भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि इससे परिवारा, तलवारा और सिद्धि समुदायों की पुरानी मांगें पूरी हो रही है। सपा के विश्म्बर प्रसाद निषाद ने उत्तर प्रदेश की 17 उपजातियों को अनुसूचित जनजाति में शामिल किये जाने की मांग की। जनता दल यू की कहकशां प्रवीन बिहार की लोहार जाति को आरक्षण के दायरे में लाने की मांग की। माकपा की झरना दास ने एस सी एसटी के लिए आवंटित राशि में बढोतरी की मांग की।