बेंगलुरु। तेलुगु देशम पार्टी के कनकमेदला रवीन्द्र कुमार ने जीरो बजट खेती की घोषणा की सराहना करते हुये कहा कि 50 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था का उल्लेख किया गया है लेकिन इसके लिए आर्थिक विकास दर को 10 फीसदी पर ले जाना होगा जो अभी मात्र सात प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि पेट्रोल और डीजल पर शुल्क बढ़ाये जाने से महंगाई बढ़ी है और इसका सीधा असर आम लोगों पर हुआ है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के विनय विस्वम ने कहा कि यह सरकार सिर्फ नारेबाजी और घोषणाओं में विश्वास करती है। इस बजट में ऐसी कोई भी घोषणा नहीं है जिससे आम लोगों विशेषकर गरीब और नौकरीपेशा को कोई राहत मिल सके। बजट में महंगाई का कोई उल्लेख नहीं है। शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए भी पर्याप्त प्रावधान नहीं है। उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार को पेट्रोल डीजल और सोना आदि पर शुल्क बढ़ाकर राजस्व में बढोतरी करने के वजाय एक फीसदी संपत्ति कर लगाना चाहिए जिससे करीब छह लाख करोड़ रुपये का राजस्व मिल सकता है। उन्होंने न्यूज प्रिंट पर लगाये शुल्क आयात शुल्क का उल्लेख करते हुये कहा कि इससे कितना राजस्व मिलेगा।
बहुजन समाज पार्टी के वीर सिंह ने बजट को निराशाजनक बताते हुये कहा कि इसमें गांव ,गरीब और किसान के साथ नौकरीपेशा लोगों की भी कोई चिंता नहीं की गयी है। आम लोगों पर बोझ डाला गया है जबकि गांव खुशहाल होगा तभी शहर खुशहाल होगा। आईयूएमएल के अब्दुल वहाब ने कहा कि जब तक देश में ढांचागत सुधार नहीं होगा तब तक कुछ भी संभव नहीं है। बगैर इसके न:न तो आर्थिक लक्ष्य हासिल किये जा सकते हैं न:न ही सामाजिक विकास हो सकता है। भाजपा के स्वेत मलिक ने बजट की सराहना करते हुये कहा कि यह देश की दशा और दिशा बदलने वाला है। इसमें हर वर्ग का ख्याल रखा गया है। कांग्रेस के रिपुन बोरा ने कहा कि गांव, गरीब और किसान का सिर्फ नाम लिया गया है। इनके लिए कोई उपाय नहीं किये गये हैं।
मनरेगा के बजट में कमी किये जाने का आरोप लगाते हुये उन्होंने कहा कि मध्यान्ह भोजन के लिए भी पर्याप्त आवंटन नहीं किया गया है। स्वास्थ्य के साथ ही महिलाओं के लिए भी सिर्फ नारे बाजी की गयी है। यदि यह सरकार वास्तव में महिलाओं के प्रति गंभीर है तो इसको महिला आरक्षण विधेयक लेकर आना चाहिए। भारतीय जनता पार्टी के कामाख्या प्रसाद तासा ने पूर्वाेत्तर का उल्लेख करते हुये कहा कि बजट में जो प्रावधान किये गये हैं वे न:न सिर्फ उत्साहजनक है बल्कि इससे पूर्वोत्तर को मुख्यधारा में लाने की कोशिश है। केन्द्र सरकार पहले से ही पूर्वोत्तर को मुख्य धारा में लाने के लिए प्रयासरत है और इसी का परिणाम है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अब तक 20 बार पूर्वोत्तर का दौरा कर चुके हैं। अब हर विभाग के केन्द्रीय मंत्री भी पूर्वोत्तर जा रहे हैं।