इस बार करवा चौथ 17 अक्टूबर को है। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाए जाने वाले करवा चौथ में महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं। करवा चौथ का व्रत सभी सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिए निर्जला व्रत रखती हैं और शाम को चंद्रमा को अर्ध्य देकर पानी पीती है लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि आखिर चंद्रमा की ही पूजा इस दिन क्यों होती है,जबकि चंद्रमा को चतुर्थी के दिन निहारना अच्छा नहीं माना जाता है, तो सुनिए इसके पीछे एक खास कारण है।
एक स्त्री थी, जिसका नाम वीरवती था। बताया जाता है कि वीरवती ने विवाह के पहले वर्ष करवा चौथ का व्रत रखा। दिनभर कुछ न खाने व पीने की वजह से उसकी तबीयत खराब होने लगी। उसकी यह हालत उसके भाई देख रहे थे। उन्होंने फौरन एक पेड़ के पीछे जलता दिया रख दिया। इसके बाद वीरवती से कहने लगे कि चंद्रमा निकल आया है। वीरवती ने जलता दिया देखकर अपना व्रत तोड़ दिया। मान्यता है कि इसके कुछ दिनों बाद उसके पति की मौत हो गई। वीरवती को पूरी कहानी पता चली तो उसने फिर से व्रत रखा और छलनी से चंद्रमा की पूजा की। इसके बाद उसका पति वापस जीवित हो गया। करवा चौथ में छलनी से पति को देखने के पीछे मनौवैज्ञानिक वजह भी है। माना जाता है कि जब पत्नी अपने पति को छलनी से देखती है तो सभी विचार और भावनाएं छनकर शुद्ध हो जाती हैं।