भगवान शिव के प्रति अटूट आस्था का त्योहार महाशिवरात्रि कल यानी सोमवार 4 मार्च को है। इस पर्व को पूरे देश भर में सच्ची श्रद्धा और आस्था के साथ देश भर में मनाया जाएगा। इस त्योहार को लेकर कई प्रकार की मान्यताएं प्रचलित हैं। पहली यह कि इस दिन भगवान लिंग के रूप में प्रकट हुए थे और दूसरी मान्यता यह है कि इस भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। महाशिवरात्रि से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन शिव-पार्वती की पूजा-अर्चना से भोलेनाथ भक्तों पर विशेष कृपा करते हैं।
महाशिवरात्रि को लेकर पुराणों में कई कथाएं मिलती हैं। सबसे प्रचलित मान्यता यह है कि फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी की अर्धरात्रि में पृथ्वी पर ज्योतिर्लिंग का प्रादुर्भाव हुआ था। इस मौके पर कई जगहों पर शिव की बारात की झांकी निकाली जाती है, जिसमें भूत-प्रेत, किन्नर, भालू-बंदर आदि का रूप धरे भक्तों के समूह की शोभा देखते ही बनती है।
जैसा कि नाम से ही साफ है, शिवरात्रि का संबंध रात्रि से है। महाशिवरात्रि पर जागरण रातभर चलता है। वैसे इनकी पूजा आठों पहर करने का विधान है। मंदिरों से भक्तों की भीड़ सुबह से ही उमड़ने लगती है। शिवलिंग की पूजा का क्रम लगातार चलता रहता है। महाशिवरात्रि जैसे पावन अवसर पर भक्त किसी भी समय पूजा कर सकते हैं। इस बड़े मौके के लिए किसी खास मुहूर्त का इंतजार करना जरूरी नहीं है।
इस दिन रुद्राभिषेक का खास महत्व होता है। शिवलिंग पर जल, दूध, गन्ने का रस, शहद, फल आदि चढ़ाने का विधान है। भक्त अपनी भावना के अनुसार शिवलिंग पर आंक, धतूरे के फूल-पत्ते आदि भी चढ़ाते हैं। भगवान भोलेनाथ को सभी तरह के सुगंधित फूल पंसद हैं। इन्हें चमेली, सफेद कमल, शमी, खस, गूलर, पलाश, केसर खास तौर पर पसंद हैं।