जयपुर। राजस्थान में राज्यपक्षी का दर्जा प्राप्त गोडावण की संख्या में इजाफा होने के संकेत मिलने से इनकी वंशवृद्धि होने की उम्मीद जगी है पीपुल फॉर एनीमल्स के प्रदेश प्रभारी बाबूलाल जाजू ने आज बताया कि पिछले दिनों जैसलमेर के डेजर्ट नेशनल पार्क में आबुधाबी और देहरादून के भारतीय वन्यजीव संस्थान के विशेषज्ञों की देखरेख में गोडावण के छह अण्डे और दो चूजे मिलने से लुप्त होती गोडावण प्रजाति की वंशवृद्धि के संकेत मिले हैं। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि वन्यजीव विभाग की घोर लापरवाही के चलते राज्यपक्षी गोडावण की संख्या जो कभी 50 हजार हुआ करती थी, वह घटकर 50 से भी कम रह गई है। उन्होंने कहा कि गोडावण की 100 से कम संख्या होने पर उसके राज्यपक्षी का दर्जा छिन सकता है।
जाजू ने कहा कि गोडावण विलुप्त होने का कारण राज्य में सरकारी कारिंदो की मिलीभगत के चलते चरागाह भूमि पर अतिक्रमण के साथ ही उद्योगों, आवासीय योजना के लिए दिया जाना है। इसके अलावा अवैध खनन तथा शिकार भी बड़ा कारण है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2013 में तत्कालीन गहलोत सरकार ने इसके लिये परियोजना बनाई थी और इसके लिये बजट भी आवंटित किया था, परंतु अधिकारियों की उदासीनता से कार्य आगे नहीं बढ़ा। राजस्थान में जैसलमेर, जोधपुर, अजमेर, कोटा, बाड़मेर, गोडावण के घर माने जाते हैं। गोडावण वन्यजीव संरक्षण कानून की प्रथम अनुसूची में शामिल है। गोडावण के शिकार पर सात वर्ष का कारावास और पांच लाख रुपये के जुर्माने का प्रावधान है। जाजू ने बताया कि वर्तमान में राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र में 70 से भी कम गोडावण बचे हैं।