नई दिल्ली। देश में पांचवी पीढ़ी की दूरसंचार सेवाएं शुरू करने के लिए अगले 10 वर्ष में दूरसंचार कंपनियों को उपरकणों पर जहां 250 अरब डॉलर का निवेश करना पड़ेगा वहीं सरकार से इसके वास्ते आवश्यक स्पेक्ट्रम के लिए इस साल के अंत तक नीति बनाने की सिफारिश की गई है।
नीतिगत सुझाव एवं कार्य योजना के लिए पिछले वर्ष सितंबर में गठित 5जी उच्चस्तरीय फोरम के तहत बनी संचालन समिति ने गुरुवार को यहा सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी। समिति के अध्यक्ष एवं अमेरिका के स्टैंफोर्ड यूनिवर्सिटी के मानद प्रोफेसर डॉ. ए. पॉलराज ने यहां दूरसंचार सचिव अरुणा सुंदरराजन को रिपोर्ट सौंपते हुये कहा कि देश में 5जी के लिए तीन प्रमुख क्षेत्रों डिप्लोयमेंट, प्रौद्योगिकी और विनिर्माण पर प्रमुखता से ध्यान दिये जाने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि फोरम ने अभी इसके डिप्लोयमेंट पर ध्यान केन्द्रित करते हुये रिपोर्ट तैयार की है। फोरम के तहत स्पेक्ट्रम नीति, नियामक नीति, शिक्षा और जागरूकता प्रोत्साहन कार्यक्रम, एप्लिकेशन और उपयोग केस लैब, मानक के स्तर विकसित करने, प्रमुख परीक्षण और प्रदर्शन तथा अंतरराष्ट्रीय मानकों की भागीदारी पर कुल सात कार्यबल गठित किये गये थे और उनकी रिपोर्ट के आधार पर सिफारिशें की गयी हैं।