नई दिल्ली। नीरव मोदी से जुड़े फर्जीवाड़े के मामले में पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) और इलाहाबाद बैंक के बड़े अधिकारियों को हटाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। वित्तीय सेवा विभाग के सचिव राजीव कुमार ने सोमवार को बताया कि पीएनबी के तीन बोर्ड लेवल के अधिकारियों, दो डायरेक्टरों के.वी. ब्रह्माजी राव और संजीव शरण के साथ-साथ इलाहाबाद बैंक के एक मैनेजिंग डायरेक्टर (एमडी) को हटाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने फर्जीवाड़े की खबर आने के बाद आनन-फानन में कोई कदम नहीं उठाया, बल्कि हर तरह से जांच के बाद ही बड़ी कार्रवाई का फैसला लिया गया है। कुमार ने कहा कि सोमवार को सरकार ने पीएनबी और इलाहाबाद बैंक के निदेशकों (डायरेक्टर्स) को उन अधिकारियों से सारे अधिकार वापस लेने को कहा गया है जो जांच में दोषी पाए गए हैं।
उन्होंने बताया कि सोमवार को पीएनबी बोर्ड की मीटिंग हुई जिसमें यह दो ईडी आॅफिसरों को बदलने का फैसला हुआ। अब इलाहाबाद बैंक भी बोर्ड बैठक बुलाएगा और सीबीआई की चार्जशीट में नामित चीफ मैनेजिंग डायरेक्टर (सीएमडी) के अधिकार छीनने का फैसला लेगा। उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक ने क्लीन लेंडिंग (कर्ज देने की साफ-सुथरी प्रक्रिया) सुनिश्चित करने की दिशा में कई कदम उठाए हैं। साथ ही, सरकार ने इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्टसी कोड के तहत भी दागी लोगों पर शिकंजा कसने के प्रभावी कदम उठाए गए हैं।
छोटी ब्रांच के अधिकारी कर्मचारी होते हैं ईमानदार
सरकार ने कहा कि कोई बैंक किसको, कितना और किन शर्तों पर लोन दे, यह तय करने की प्रक्रिया से सरकार हमेशा दूर रहती है। राजीव कुमार ने जोर देकर कहा कि देश में वैसे बड़े कॉर्पोरेट लोन बैंकों के कॉर्पोरेट ब्रांचों से ही दिए गए हैं जो फंस चुके हैं या फंसते दिख रहे हैं। उन्होंने कहा कि छोटे ब्रांच के अधिकारी-कर्मचारी ईमानदारी से काम करते हैं, इसलिए वहां किसी तरह का फर्जीवाड़ा नहीं होता है। कुमार ने भरोसा दिलाया कि बुरे दिन लद गए और अब सिर्फ और सिर्फ साफ-सुथरे लोगों को ही कर्ज दिए जाएंगे।