नई दिल्ली। अर्थव्यवस्था के पटरी पर लौटने से इस वर्ष भारत आर्थिक विकास के मामले में चीन को पछाड़ देगा और अगले वर्ष तो दोनों देशों की विकास दर में एक फीसदी का अंतर हो जाएगा। संयुक्त राष्ट्र ने अपनी ताजी रिपोर्ट में यह अनुमान जताया है। संयुक्त राष्ट्र इॅकोनोमिक एंड सोशल कमीशन फोर एशिया एंड द पैसिफिक (ईएससीएपी) 2018 की मंगलवार को जारी रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2018 में भारत की विकास दर 7.2 प्रतिशत और अगले वर्ष 7.4 प्रतिशत रहेगी जबकि इस अवधि में चीन की विकास दर क्रमश: 6.6 प्रतिशत और 6.4 प्रतिशत रहेगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के लागू किये जाने के साथ ही बैंकों और उद्योग जगत के कमजोर बैलेंस सीट से अर्थव्यवस्था में आयी सुस्ती के बाद अब इसमें तेजी आने लगी है।
वैश्विक स्तर पर तेल की कीमतों में आई तेजी का हवाला देते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि कच्चे तेल की कीमत 10 डॉलर प्रति बैरल की बढ़ोतरी होने से भारत के आर्थित विकास में 0.2 से 0.3 प्रतिशत तक की कमी आती है। हालांकि भारतीय अर्थव्यवस्था में हो रही सुधार से इस वर्ष और अगले वर्ष भी तीव्र बढ़ोतरी होगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि एशिया प्रशांत क्षेत्र में वर्ष 2017 में विकास दर बेहतर रही थी और इस वर्ष भी इसमें तेजी बने रहने का अनुमान है। इसमें क्षेत्र के देशों से अनुकूल आर्थिक स्थिति का लाभ उठाने की सलाह देते हुए कहा गया है कि देशों को अपने यहां समग्र और सतत् विकास की दिशा में तेजी से आगे बढ़ाना चाहिए।
इस तरह के बदलाव के लक्ष्य को हासिल करने के लिए क्रियान्वित किये गये नीतिगत पहलों के लिए घरेलू स्तर पर सरकारी वित्तीय संसाधन की आवश्यकता होगी और इसके लिए निजी पूंजी की उपलब्धता भी सुनिश्चित करनी होगी। एशिया प्रशांत क्षेत्र में दक्षिण और दक्षिण पश्चिम एशिया को इस क्षेत्र में तेजी से बढ़ने वाला अर्थव्यवस्था बताते हुये कहा गया है कि भारत में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है।
जीएसटी में स्थिरता आने से कार्पोरेट क्षेत्र में सुधार होने की संभावना है जिससे निजी निवेश बढ़ सकता है। सरकारी सहयोग से इंफ्रास्ट्रक्चर व्यय और कार्पोरेट एवं बैंक के बैलेंस सीट में भी सुधार हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया है कि घरेलू स्तर पर मांग बढ़ने और वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में सुधार होने से इस क्षेत्र के विकासशील देशों के इस वर्ष और अगले वर्ष भी 5.5 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान है। चीन की अर्थव्यवस्था में कुछ शिथिलता आने की संभावना जतायी गयी है।