नई दिल्ली। नए आॅर्डरों में गिरावट से देश के सेवा क्षेत्र की गतिविधियां फरवरी में सुस्त पड़ गईं और इसका निक्केई इंडिया सर्विसेज बिजनेस एक्टिविटी सूचकांक घटकर 47.8 पर आ गया। इससे पहले नवंबर में सूचकांक 51.7 पर रहा था। इसका 50 से ऊपर रहना गतिविधियों में तेजी और इससे नीचे रहना गिरावट दिखाता है जबकि 50 स्थिरता का द्योतक है। पिछले साल नवंबर के बाद यह पहली बार है जब सेवा क्षेत्र की गतिविधियां कमजोर पड़ी हैं। वहीं, पिछले सप्ताह विनिर्माण क्षेत्र का सूचकांक जारी हुआ था जिसमें लगातार सातवें महीने तेजी देखी गई थी। विनिर्माण और सेवा क्षेत्र को मिलाकर एकीकृत पर्चेजिंग मैनेजर्स उत्पादन सूचकांक जनवरी के 52.5 से घटकर 49.7 पर आ गया।
निक्केई द्वारा सोमवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि फरवरी में सेवा क्षेत्र के लिए नए आॅर्डरों में भी गत नवंबर के बाद पहली बार गिरावट देखी गई है। हालाँकि, कंपनियां अगले एक साल में उत्पादन वृद्धि को लेकर आशांवित हैं और इसलिए उन्होंने नई भर्तियां भी की हैं। नई नौकरियों की बढ़ने की रफ्तार जून 2011 के बाद के उच्चतम स्तर पर पहुंच गईं। निक्केई के लिए रिपोर्ट तैयार करने वाली एजेंसी आईएचएस मार्किट की आशना दोधिया ने रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये कहा भारत के सेवा क्षेत्र की गतिविधियों और आॅर्डर दोनों में नवंबर के बाद पहली बार गिरावट देखी गई है। गिरावट की रफ्तार गत अगस्त के बाद सर्वाधिक है जो सेवा क्षेत्र में कमजोर मांग की स्थिति की ओर इशारा करता है। हालाँकि, ऐसा लगता है कि कंपनियों का मानना है कि यह गिरावट अस्थायी है और इसीलिए उन्होंने नई नौकरियाँ दी हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि सेवा क्षेत्र की कंपनियों की लागत भी फरवरी में बढ़ी है जिससे उन्होंने अपने सेवाओं की कीमत भी बढ़ाई है।