नई दिल्ली। सत्ता पक्ष के सांसदों समेत कई सदस्यों ने लोकसभा में बुधवार को सरकारी दूरसंचार कंपनी बीएसएनएल का मुद्दा उठाया और उसकी स्थिति पर सरकार से बयान की माँग की तथा पूछा कि क्या वह सार्वजनिक कंपनी को बंद करना चाहती है। भारतीय जनाता पार्टी के जगदम्बिका पाल ने शून्यकाल के दौरान कहा कि बीएसएनएल का 70 प्रतिशत राजस्व कर्मचारियों के वेतन के मद में खर्च हो जाता है।
उन्होंने कहा कि कंपनी के कर्मचारी संगठनों ने यह बोझ कम करने के लिए ऐच्छिक सेवानिवृत्ति का विकल्प देने और नियमित सेवानिवृत्ति की उम्र 60 साल से घटाकर 58 साल करने का सुझाव दिया है जिस पर विचार किया जाना चाहिये। उन्होंने कहा कि राजस्व बढ़ाने के लिए बीएसएनएल को भी 4जी सेवा की शुरुआत करनी चाहिये क्योंकि उसके सभी निजी प्रतिस्पर्द्धी यह सुविधा दे रहे हैं। सरकार में सहयोगी दल विनायक राउत ने कहा कि बीएसएनएल पर सरकार को बयान देना चाहिये कि क्या वह उसे बंद करना चाहती है।
उन्होंने कहा कि बीएसएनएल के मामले में स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हस्तक्षेप करना चाहिये और स्थिति स्पष्ट करनी चाहिये। जम्मू-कश्मीर के लद्दाख से भाजपा सदस्य जे.टी. नाम्ग्याल ने कहा कि उनके क्षेत्र में बीएसएनएल की डिजिटल सेटेलाइट फोन टर्मिनल (डीएसपीटी) सेवा 13 मई से बंद है। उस क्षेत्र में संचार का यही एक मात्र साधन है। उन्होंने कहा कि सिर्फ आम नागरिक ही सेना भी संचार के लिए इसी का इस्तेमाल करती है और इस सेवा का बंद रहना राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से भी खतरनाक है। नाम्ग्याल ने कहा कि बीएसएनएल के जम्मू सर्किल कार्यालय को भी यह स्पष्ट जानकारी नहीं है कि लद्दाख इलाके में संचार सेवा कैसे बहाल की जायेगी।
उन्होंने सरकार से क्षेत्र में डीएसपीटी सेवा बहाल करने की माँग की। महाराष्ट्र के अमरावती से निर्दलीय सदस्य नवनीत राणा ने कहा कि उनके क्षेत्र में वन क्षेत्र में बसी बस्तियों और गाँवों में बीएसएनएल की कनेक्टिविटी दी जाये। यह देश के सबसे बड़े जनजातीय क्षेत्र विदर्भ का हिस्सा है। खासकर मेलघाट और गोविंदपुर में संचार सुविधा बिल्कुल नहीं है। उन्होंने इन क्षेत्रों में संचार व्यवस्था सुनिश्चित करने का आग्रह किया।