नई दिल्ली। महँगाई के लक्षित दायरे में रहने के मद्देनजर विकास को गति देने के उद्देश्य से रिजर्व बैंक द्वारा नीतिगत दरों में की गयी एक चौथाई फीसदी की कटौती का उद्योग संगठनों ने स्वागत किया है और कहा है कि अभी भी इसमें और कटौती की गुंजाइश है। उद्योग संगठन फिक्की के अध्यक्ष संदीप सोमानी ने रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की चालू वित्त वर्ष की पहली द्विमासिक समीक्षा बैठक में लिये गये निर्णयों का उल्लेख करते हुये कहा कि नीतिगत दरों में एक चौथाई प्रतिशत की कटौती स्वागत योग्य है। उन्होंने कहा कि उद्योग को इससे अधिक की कटौती की उम्मीद थी और अब भी केन्द्रीय बैंक के पास इसमें कटौती करने की गुंजाइश है।
उन्होंने कहा कि लगातार दो बैठकों में नीतिगत दरों में की गयी कटौती के मद्देनजर अब बैंकों के पास ब्याज दरों में कमी करने और खुदरा तथा कॉर्पोरेट ऋण उठाव को गति देने का मौका है। इससे घरेलू अर्थव्यवस्था को बल मिला और उपभोग की माँग बढ़ेगी तथा निजी निवेश में भी तेजी आयेगी। उन्होंने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में शिथिलता के संकेत मिल रहे हैं इसके मद्देनजर अंतरराष्ट्रीय स्तर से विकास को गति मिलने की संभावना बहुत कम है। पिछले कुछ महीने में कंपनियों की क्षमता का उपयोग बढ़ा है और बैंकों के एनपीए में कमी आयी है। इसके मद्देनजर विकास को मौद्रिक नीति के जरिये गति देने की जरूरत है। उद्योग संगठन एसोचैम ने रिजर्व बैंक के इस निर्णय का स्वागत करते हुये कहा कि केन्द्रीय बैंक ने मौद्रिक नीति को लचीला बनाया है क्योंकि वर्ष 2018-19 की तीसरी तिमाही में आर्थिक विकास दर गिरकर 6.6 प्रतिशत पर आ गयी है। वर्ष 2018-19 के विकास अनुमान को भी 7.2 प्रतिशत से कम कर सात प्रतिशत किया जा चुका है।
औद्योगिक उत्पादन और इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में उतार-चढ़ाव देखा जा रहा है। इसके मद्देजनर निजी निवेश को गति देने की आवश्यकता है और रिजर्व बैंक ने इस पर गौर किया है। उद्योग संगठन पीएचडी चैंबर ने भी इस कटौती का स्वागत करते हुये कहा कि इससे माँग बढ़ाने और अर्थव्यवस्था को गति देने में मदद मिलेगी। संगठन के अध्यक्ष राजीव तलवार ने सरकार और केन्द्रीय बैंक के मूल्य स्थिति में स्थिरता लाने और अर्थव्यवस्था को तीव्र विकास की ओर ले जाने के उपाय करने के लिए सराहना करते हुये कहा कि नीतिगत दरों में कमी किये जाने से ग्रामीण क्षेत्रों में माँग बढ़ाने में मदद मिलेगी। इससे औद्योगिक गतिविधियाँ बढ़ेंगी। उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक द्वारा की गयी कटौती के मद्देजनर अब बैंकों को भी ब्याज दरों में कमी करनी चाहिये। देश के सबसे बड़े वाणिज्यिक बैंक भारतीय स्टेट बैंक के अध्यक्ष रजनीश कुमार ने कहा कि केन्द्रीय बैंक का निर्णय बाजार की आशा के अनुरूप है और इससे विभिन्न क्षेत्रो में माँग बढ़ाने में मदद मिलेगी।