नई दिल्ली। कांग्रेस ने गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी इन्फ्रास्ट्रकचर लीजिंग एंड फाइनेशियल सर्विस (आईएल एंड आईएफ) को 91 हजार करोड़ रुपए के कर्ज से बचाने के लिए देश के 38 करोड़ जीवन बीमा धारकों की कमाई का इस्तेमाल करने का सरकार पर आरोप लगाया और कहा कि लाभ में चलने वाली कंपनियों का दिवालिया हो रहे संस्थानों के लिए इस्तेमाल करना मोदी प्रशासन का तरीका बन गया है।
कांग्रेस प्रवक्ता प्रोफेसर गौरव वल्लभ ने विशेष संवाददाता सम्मेलन में कहा कि घाटे में चलने वाले सरकारी संस्थानों को बचाने के लिए लाभकारी संस्थानों का पैसा लुटाना अनुचित है लेकिन मोदी सरकार लगातार यही काम कर रही है। उन्होंने कहा कि पहले गुजरात स्टेट पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (जीएसपीसी) को बचाने के लिए तेल क्षेत्र की कंपनी ओएनजीसी का इस्तेमाल किया गया। फिर सार्वजनिक क्षेत्र के आईडीबीआई बैंक को घाटे से बचाने के लिए एलआईसी का इस्तेमाल किया गया और अब आईएल एंड आईएफ को बचाने के लिए फिर एलआईसी से साढ़े सात हजार करोड़ रुपए की निधि दिलायी जा रही है।
आईएल एंड आईएफ में विदेशी कंपनियों के शेयर
वल्लभ ने कहा कि आईएल एंड आईएफ में 60 प्रतिशत शेयर निजी क्षेत्र के हैं जिनमें 36 प्रतिशत विदेशी निवेशकों के और शेष 40 फीसदी शेयर एलआईसी तथा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के हैं। विदेशी कंपनियों में आबूधाबी तथा जापान की कंपनियां शामिल हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार विदेशी कंपनियों को बचाने के लिए एलआईसी धारकों का पैसा लुटाने का रास्ता अपना रही है।
चार साल से हो रहा घाटा
प्रवक्ता ने कहा कि आईएल एंड आईएफ अचानक घाटे में नहीं आयी बल्कि वह पिछले चार साल से लगातार घटे में चल रही थी और इस दौरान हर माह उसे करीब 900 करोड़ रुपए का घाटा हो रहा था। इस अवधि में इस कंपनी को बचाने के लिए कोई प्रयास नहीं किए गए जबकि कंपनी के निदेशक मंडल में एलआईसी तथा एसबीआई जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के प्रतिनिधि शामिल थे। उन्होंने कहा कि एलआईसी तथा एसबीआई के लोग निदेशक मंडल में बैठकर क्या कर रहे थे, उनकी भूमिका की जांच होनी चाहिए।
पीएम की भूमिका की हो जांच
प्रवक्ता ने यह भी आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आईएल एंड आईएफ के मुरीद नजर आते हैं। श्री मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने गुजरात इंटरनेशनल टेक एंड फाइनेंस सिटी (गिफ्ट) की परिकल्पना की थी। इसके लिए मामूली दर पर राज्य सरकार ने 99 साल की लीज पर 886 एकड़ भूमि उपलब्ध करायी लेकिन परियोजना को आईएलएंडआईएफ को सौंप दिया गया। प्रवक्ता ने सवाल किया, जो कंपनी घाटे में चल रही है और नियमों के अनुसार जिसे यह जिम्मेदारी नहीं सौंपी जा सकती उसे किस आधार पर यह काम सौंपा गया। उन्होंने कहा कि इस मामले में मोदी की भूमिका की भी पड़ताल की जानी चाहिए।