नई दिल्ली। एससी-एसटी एक्ट के प्रावधानों को बदलने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले से देश के कुछ संगठनों में नाराजगी को देखते हुए सरकार अध्यादेश या विधेयक के जरिये पुराने प्रावधानों को बरकरार रखने के विकल्प पर विचार कर रही है। सूत्रों के मुताबिक आगामी मानसून सत्र में इन विकल्पों में से किसी एक पर सरकार अमल कर सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने 20 मार्च को एससी-एसटी एक्ट के गिरफ्तारी समेत कुछ प्रावधानों में बदलाव किया था। इसके विरोध में 2 अप्रैल को भारत बंद बुलाया गया था। प्रदर्शन के दौरान 10 से ज्यादा राज्यों में हिंसा हुई थी और 15 लोगों की मौत हो गई थी।
संशोधन बिल भी संभव
सरकार पूरे देश के गुस्से को ठंडा करने के लिए जुलाई में शुरू होने वाले मानसून सत्र में एससी/एसटी एक्ट, 1989 में संशोधन का बिल ला सकती है। हालांकि, प्रावधानों में बदलाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को उलट देने का यह दूसरा विकल्प होगा है। वहीं अगर अध्यादेश आता है तो उसे बिल में परिवर्तित करके सदन में पारित कराना होगा। मूल प्रावधानों को बरकरार रखने के लिए दोनों ही प्रक्रियाओं का नतीजा एक जैसा होगा। हालांकि, अध्यादेश के जरिए तुरंत नतीजे हासिल किए जा सकेंगे और लोगों का गुस्सा ठंडा करने में मदद मिलेगी।
इसलिए विकल्पों पर विचार
सूत्रों के मुताबिक अभी ये फैसला नहीं लिया गया है कि पुराने प्रावधानों को बरकरार रखने के लिए सरकार क्या कदम उठाएगी। सरकार का कदम सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सामाजिक न्याय मंत्रालय की पुनर्विचार याचिका की सुनवाई और इसके नतीजों पर टिका है। हो सकता है कि पुनर्विचार याचिका के जरिए तुरंत नतीजे ना हासिल हों, हो सकता है कि अदालत का फैसला पक्ष में ना आए। इसके बाद सरकार इस मसले पर ठोस कदम उठाने पर विचार करेगी।