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बदहाल पाकिस्तान बढ़ा रहा परमाणु हथियारों का जखीरा

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jul 21 2019 1:27AM | Updated Date: Jul 21 2019 1:27AM
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नई दिल्ली। आर्थिक बदहाली से जूझने के बावजूद पाकिस्तान अपनी सशस्त्र सेनाओं को निरंतर मजबूत करने के साथ-साथ परमाणु हथियारों तथा मिसाइलों के जखीरे को बढ़ाने में लगा है। रक्षा मंत्रालय की वर्ष 2018-19 के लिए जारी वार्षिक रिपोर्ट में सुरक्षा परिदृश्य अध्याय में पाकिस्तान की स्थिति का उल्लेख करते हुए कहा कहा गया है कि समावेशी और संतुलित आर्थिक विकास न होने के कारण वहां राजनीतिक स्थिति लगातार चुनौतीपूर्ण बनी हुई है। गत वर्ष चुनाव के बाद इमरान खान सरकार के सत्ता में आने के बाद पाकिस्तानी सेना का देश की विदेश, सुरक्षा और रक्षा नीति के मामले में वर्चस्व बढ़ा है। पड़ोसी देशों के साथ सुरक्षा संबंधी परिदृश्य की समीक्षा करते हुए रिपोर्ट में यह बात प्रमुखता के साथ कही गई है कि पाकिस्तान अपनी सशस्त्र सेनाओं को लगातार मजबूत करने में लगा है। खस्ता आर्थिक हालत के बावजूद वह विशेष रूप से परमाणु हथियारों के जखीरे को बढ़ा रहा है और साथ ही मिसाइलों की क्षमता बढ़ाने में भी लगा है। 

2025 तक पाक के पास होंगे लगभग 250 परमाणु हथियार- अंतरराष्ट्रीय अनुमानों के अनुसार पाकिस्तान के पास 140 से 150 परमाणु हथियार हैं, जबकि भारत के पास 130 से 140 परमाणु हथियार हैं। यदि पाकिस्तान इस रफ्तार से परमाणु हथियारों के जखीरे को बढ़ाता रहा तो वर्ष 2025 तक उसके पास लगभग 250 परमाणु हथियार हो जाएंगे। रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान जातीय-क्षेत्रीय संघर्षों से जूझ रहा है और ये संघर्ष पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा पर कबाइली क्षेत्रों से देश के भीतरी इलाकों तक हो रहे हैं। धार्मिक कट्टरपंथ भी बढ़ता जा रहा है। 

आतंकियों को मदद- पड़ोसी देशों के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त जेहादी और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों के खिलाफ पाकिस्तान की ओर से कार्रवाई नहीं की जा रही है, बल्कि उन्हें भारत में घुसपैठ के लिए समर्थन दिया जा रहा है। जम्मू कश्मीर के पुलवामा में गत फरवरी में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के काफिले पर आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के हमले से इस बात की पुष्टि होती है कि पाकिस्तान अपनी सीमा पार आतंकवाद की नीति पर चलते हुए भारत को निशाना बना रहा है। 

संघर्ष विराम की घटनाओं पर लगा थोड़ा अंकुश- रक्षा मंत्रालय ने जम्मू कश्मीर की स्थिति का उल्लेख करते हुए उसे विस्फोटक करार दिया और कहा कि पुलवामा, शोपियां, अनंतनाग और कुलगाम जैसे भीतरी इलाके आंतवादी घटनाओं का केंद्र बने रहे। नियंत्रण रेखा के साथ पीर पंजाल चोटियों के दक्षिण में बार बार संघर्ष विराम उल्लंघन की घटनाओं के कारण घुसपैठ निरंतर जारी है। नियंत्रण रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बदस्तूर जारी संघर्ष विराम की घटनाओं पर अब कुछ अंकुश लगा है। वर्ष 2016 में नियंत्रण रेखा पर संघर्ष विराम उल्लंघन की 228, 2017 में 860 और 2018 में 1629 घटनाएं हुई। वर्ष 2018 में सेना ने घुसपैठ की 15 कोशिशों को विफल किया, जिसमें 35 आतंकवादी मारे गए, जबकि वर्ष 2017 में घुसपैठ की 33 कोशिशों को विफल किया गया, जिसमें 59 आंतवादी मारे गए। 

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