नई दिल्ली। रिजर्व बैंक आॅफ इंडिया के गवर्नर उर्जित पटेल के इस्तीफे की खबर आ रही है। मामला इस हद तक हाथ से निकल गया है कि उर्जित पटेल ने इस्तीफा देने का मन बना लिया है। सवाल है कि केंद्र सरकार और आरबीआई के बीच ऐसा क्या हुआ कि बात इस्तीफे तक आ गई। पिछले 3-4 दिनों से जो खबरें आ रही हैं उससे इस पूरे मामले को बारीकी से समझा जा सकता है। ये कोई अचानक नहीं हुआ है कि आरबीआई और केंद्र सरकार के बीच तनातनी की स्थिति पैदा हुई है। इस पूरी कड़ी को शुरुआत से समझा जा सकता है।
कर्ज देने के नियमों में छूट
सबसे पहले कुछ मीडिया रिपोर्टर्स में ये कहा गया कि सरकार और आरबीआई के संबंध अच्छे नहीं चल रहे हैं। बताया गया कि संबंधों में कड़वाहट पैदा होने के पीछे उर्जित पटेल को जिम्मेदार माना जा रहा है। सवाल था कि संबंध कैसे खराब हुए? केंद्र सरकार ने आरबीआई से कुछ बैंकों को कर्ज देने के नियमों में छूट देने को कहा था। सरकार पेमेंट्स सिस्टम के लिए नया नियामक बनाना चाहती है। साथ ही मोदी सरकार कथित रूप से आरबीआई पर इस बात के लिए भी दबाव डाल रही थी कि वह अपने 3.6 ट्रिलियन के सरप्लस धन में कुछ हिस्सा सरकार को दे, जिससे राजकोषीय घाटे में कमी की जा सके। इसके अलावा सरकार आरबीआई की नियामक ताकतों में कटौती करने की कोशिश कर रही है।
इसके बाद आया डिप्टी गवर्नर का बयान
आरबीआई के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य का बयान सामने आया। आचार्य ने सरकार को चेतावनी दी कि केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता को हल्के में लेना विनाशकारी हो सकता है। उनका बयान सरकार की ओर से नीतियों में छूट और आरबीआई की ताकतों में कमी करने के दबाव की ओर इशारा था। उन्होंने कहा, 'जो सरकारें केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता का आदर नहीं करतीं, उन्हें आज नहीं तो कल बाजार की नाराजगी और आर्थिक आग की आंच झेलना पड़ती है।
आरबीआई गवर्नर की आलोचना
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी बयान दिया। जेटली ने आरबीआई गवर्नर की आलोचना करते हुए कहा, आरबीआई ने 2008 से 2014 के बीच अंधाधुंध कर्ज देने वाले बैंकों पर अंकुश लगाने में नाकाम रहा। उन्होंने कहा कि बैंकों में फंसे कर्ज (एनपीए) की मौजूदा समस्या का यही कारण है। एक तरफ अंधाधुंध कर्ज बांटे जा रहे थे, दूसरी तरफ केंद्रीय बैंक कहीं और देख रहा था... मुझे अचंभा होता है कि उस समय सरकार एक तरफ देख रही थी और रिजर्व बैंक की नजर दूसरी तरफ थी। मुझे नहीं पता कि केंद्रीय बैंक क्या कर रहा था, जबकि वह इन सब बातों का नियामक था। वे सच्चाई पर पर्दा डालते रहे। वित्त मंत्री ने कहा कि तत्कालीन सरकार बैंकों पर कर्ज देने के लिए जोर दे रही थी जिससे एक साल में कर्ज में 31 प्रतिशत तक वृद्धि हुई जबकि औसत वृद्धि 14 प्रतिशत थी।
जेटली के बयान के बाद बनाया इस्तीफे का मन
अरुण जेटली के बयान के बाद मामला और बिगड़ गया। उसी के बाद उर्जित पटेल के इस्तीफे की बात सामने आने लगी। सीएनबीसी टीवी-18 की रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि उर्जित पटेल इस्तीफे का मन बना चुके हैं। केंद्र सरकार और आरबीआई के बीच अनबन और उसके बाद वित्त मंत्री के बयान के बाद दरार बढ़ गई है। किसी भी आपात स्थिति से निपटने और मामले को सुलझाने के लिए सरकार ने आरबीआई के साथ आरबीआई एक्ट के सेक्शन 7 के तहत बातचीत की शुरुआत भी की है। इसके तहत सरकार आरबीआई को जनहित के मामले में दिशा निर्देश जारी कर सकता है। सीएनबीसी टीवी-18 के हवाले से कहा जा रहा है कि इस मुद्दे पर सरकार और पीएमओ से प्रतिक्रिया जानने की कोशिश की गई, लेकिन कोई जानकारी हासिल नहीं हो सकी।