नई दिल्ली। सांसद और विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामलों के ट्रायल के लिए विशेष कोर्ट बनाने के मामले में सुस्त रफ्तार पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई। अदालत ने बुधवार को मामले की सुनवाई करते हुए उत्तरप्रदेश, झारखंड, उत्तराखंड और तमिलनाडु समेत 18 राज्यों के मुख्य सचिवों और हाईकोर्ट के रजिस्ट्रारों से 12 अक्तूबर तक जानकारी मांगी है कि ये कोर्ट क्यों नहीं बनाए जा रहे।
जस्टिस रंजन गोगोई की पीठ ने कहा कि नेताओं के खिलाफ आपराधिक मामलों से निपटने के लिए विशेष फास्ट ट्रैक अदालतों के गठन की निगरानी की जाएगी। कोर्ट ने यह आदेश भाजपा नेता अश्वनी उपाध्याय की रिट याचिका पर दिए। पीठ ने कहा कि दिल्ली, जिसने दो विशेष अदालतें गठित कर दी हैं और आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, केरल, तेलंगाना, मध्यप्रदेश, बिहार, बंगाल तथा महाराष्ट्र की ओर से ही जानकारी दी गई है। अन्य राज्यों ने इस संबंध में जानकारी नहीं दी है। पीठ ने केंद्र सरकार से पूछा ऐसे कौन से राज्य हैं, जहां फास्ट ट्रैक कोर्ट नहीं बने, ऐसे कौन से राज्य है, जिन्होंने फास्टट्रैक कोर्ट को लेकर रुचि नहीं दिखाई है।