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बन रही ध्वनि की गति से सात गुना तेज चलने वाली मिसाइल

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Apr 30 2018 10:09AM | Updated Date: Apr 30 2018 10:09AM
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नई दिल्ली। दुनिया की सबसे तेज गति की क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस को और ज्यादा अच्छी तकनीक वाले इंजन के साथ दस साल में हाइपरसौनिक क्षमता हासिल कर लेगी और मैक-7 ( ध्वनि की गति की सात गुना की सीमा) को पार कर लेगी। इस मिसाइल को भारत-रूस ने मिलकर बनाया है।

भारत और रूस की ज्वाइंट वेंचर वाली कंपनी ब्रह्मोस एयरोस्पेस के चीफ एक्जिक्यूटिव एंड मैनेजिंग डायरेक्टर सुधीर मिश्रा ने बताया कि हमें हाइपरसोनिक मिसाइल प्रणाली बनने में अभी 7 से 10 साल लग सकते हैं। अभी इसकी स्पीड ध्वनि की गति से 2.8 गुना तेज है। उन्होंने कहा कि इंजन में सुधार के साथ ही ब्रह्मोस कुछ ही वक्त में मैक 3.5 और तीन साल में मैक 5 गति तक हासिल करेगी। हाइपरसोनिक गति के लिए मौजूदा इंजन को बदलना होगा।

इस ज्वाइंट वेंचर में डीआरडीओ की 55 फीसदी और रूस की 45 फीसदी हिस्सेदारी है। सुधीर ने बताया कि कंपनी के पास इस वक्त 30 हजार करोड़ रुपये के आॅर्डर हैं और पिछले कुछ सालों में मिसाइल सिस्टम को इस तरह से विकसित किया गया है कि इसे जहाज, पनडुब्बी, सुखोई-30 जैसे लड़ाकू विमान और जमीन आदि पर भी लगाया जा सके।

हो रहा अनुसंधान
 
ब्रह्मोस एयरोस्पेस के चीफ एक्जिक्यूटिव एंड मैनेजिंग डायरेक्टर ने कहा कि हमारा उद्देश्य एक ऐसी मिसाइल विकसित करना है जो अगली पीढी़ के हथिायर को ढोने में सक्षम हो। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ), भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) और भारतीय विज्ञान संस्थान जैसे संस्थान उस तकनीक पर काम कर रहे हैं, जिससे कि लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके और रूस के संस्थान भी इस काम में जुटे हुए हैं।
 
विश्व की सबसे तेज क्रूज मिसाइल
 
ब्रह्मोस अपने साथ की मिसाइलों से तकनीक के मामले में 5 से 7 साल आगे है और यह विश्व की सबसे तेज क्रूज मिसाइल है। अमेरिका समेत किसी भी देश  के पास ऐसी मिसाइल प्रणाली नहीं है। इसके इंजन, प्रोपल्शन और लक्ष्य खोजने का सिस्टम रूस द्वारा विकसित किया गया है और डायरेक्शन, सॉफ्टवेयर, एयरफ्रेम और फायर कंट्रोल को कंट्रोल करने वाले सिस्टम को भारत में विकसित किया गया है। मिश्रा ने बताया कि यह मिसाइल तकनीक अब अगले 25 से 30 सालों के लिए उपयोगी होगी।
 
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