नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले में इसी साल जनवरी को आठ साल की बच्ची के साथ हुई बर्बरता ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है। वहीं अब इस मामले में नया खुलासा हुआ है। बच्ची से बलात्कार और उसकी हत्या मामले की जांच कर रही पुलिस ने कहा है कि आरोपियों में से एक सांझीराम ने पूछताछ के दौरान अपना गुनाह कबूल कर लिया है। उसने बताया कि उसे बच्ची के अपहरण के चार दिन बाद उससे बलात्कार होने की बात पता चली और बलात्कार में अपने बेटे के भी शामिल होने का पता चलने पर उसने बच्ची की हत्या करने का फैसला किया।
अपहृत बच्ची से 10 जनवरी को सबसे पहले सांझी राम के नाबालिग भतीजे ने बलात्कार किया था। बच्ची का शव 17 जनवरी को जंगल से बरामद हुआ। नाबालिग के अलावा सांझी राम, उसके बेटे विशाल और पांच अन्य को इस मामले में आरोपी बनाया गया है। बच्ची को एक छोटे से मंदिर देवीस्थान में रखा गया था, जिसका सांझीराम सेवादार था। हिंदू वर्चस्व वाले इलाके से घुमंतू समुदाय के लोगों को डराने और हटाने के लिए यह पूरी साजिश रची गई।
नाबालिग ने कबूली सारी बात
जांचकर्ताओं के मुताबिक सांझीराम को इस घटना की जानकारी 13 जनवरी को मिली जब उसके भतीजे ने अपना गुनाह कबूल किया। उसने बताया कि उसने देवीस्थान में पूजा की और भतीजे को प्रसाद घर ले जाने को कहा, लेकिन उसके देरी करने पर उसने गुस्से में उसे पीट दिया। हालांकि नाबालिग ने सोचा कि उसके चाचा को लड़की से बलात्कार करने की बात पता चल गई है और उसने खुद ही सारी बात कबूल कर ली। उन्होंने बताया कि उसने अपने चचेरे भाई विशाल (सांझीराम का बेटा) को इस मामले में फंसाया और कहा कि दोनों ने मंदिर के अंदर उससे बलात्कार किया।
सांझीराम ने तय किया था बच्ची को मारना
मामले में दर्ज आरोप-पत्र के मुताबिक यह जानने के बाद सांझी राम ने तय किया कि बच्ची को मार दिया जाना चाहिए ताकि घूमंतु समुदाय को भगाने के अपने मकसद को हासिल किया जा सके, लेकिन चीजें योजना के मुताबिक नहीं हुई। वे बच्ची को हीरानगर नहर में फेंकना चाहते थे, लेकिन वाहन का इंतजाम नहीं होने के कारण उसे वापस मंदिर ले आया गया। 14 जनवरी को उसकी हत्या कर दी गई, क्योंकि सांझीराम अपने बेटे तक पहुंचने वाले हर सुराग को मिटा देना चाहता था।