नई दिल्ली। भले ही अप्रैल में ही गर्मी की लपटें तेज हो गई हों, लेकिन खेती-किसानी के लिए अच्छी खबर आई है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने सोमवार को मानसून का पहला पूर्वानुमान जारी कर दिया। भारतीय मौसम विभाग के डायरेक्टर जर्नल केजे रमेश ने कहा कि मानसून मई के मध्य में सबसे पहले केरल पहुंचेगा और 45 दिनों के अंदर पूरे देश में फैल जाएगा। यह लगातार तीसरा साल होगा जब मानसून सामान्य रहेगा। देश में करीब 45 प्रतिशत सिंचित क्षेत्र है और शेष भूमि पर वर्षा आधारित खेती की जाती है।
पूरे चार माह होगी बरसात
इस बार मानसून की लंबी अवधि (एलपीए) का औसत 97 प्रतिशत रहेगा, जो कि इस मौसम के लिए सामान्य है। कम मानसून की बहुत कम संभावना है। इससे पहले प्राइवेट एजेंसी स्काईमेट ने भी 4 अप्रैल को बयान जारी किया था कि 2018 में मॉनसून 100 फीसदी सामान्य रहने की संभावना है। पिछले 50 सालों में मानसून का औसत 89 सेमी. है। इस बार भी जून से शुरू होने वाले चार महीनों के पूरे सीजन में इसी औसत से मानसून के कारण बारिश होगी।
सामान्य से ज्यादा बारिश की 20 फीसदी संभावना
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने कहा है कि जून से सितंबर के बीच 100 फीसदी बारिश हो सकती है। सामान्य से ज्यादा बारिश होने की संभावना 20 फीसदी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस साल सूखा पड़ने की संभावना शून्य फीसदी है। जून से सितंबर के बीच 100 फीसदी बारिश हो सकती है। इस अनुमान से रूरल इकोनॉमी को बल मिलेगा, जिससे ग्रामीण इलाकों में रहने वाली 50 फीसदी से अधिक आबादी की खरीद क्षमता बढ़ेगी। मानसून का सामान्य रहना लोगों के लिए भी अच्छी खबर है।
मानसून की श्रेणियां
सामान्य या औसत मानसून का मतलब है पिछले 50 सालों में जून से सितंबर के बीच हुई औसत बारिश का 96 से 104 प्रतिशत तक बारिश होना। औसत से 90 प्रतिशत से कम बारिश को सूखे की श्रेणी में गिना जाता है। औसत से 110 प्रश से अधिक बारिश का मतलब होगा अत्यधिक मानसून। इससे कुछ फसलों को नुकसान होता है।