चंडीगढ़। शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने लोकसभा चुनावों में देश भर में आंकड़ों में हेराफेरी और ईवीएम मशीनों को हैक करने के आरोपों की उच्चतम न्यायिक स्तर पर स्वतंत्र और पारदर्शी जांच की मांग की। चुनाव आयोग द्वारा जारी आंकड़ों में भारी गड़बड़ी का हवाला देते हुये अकाली नेता ने इस बात पर जोर दिया कि वह सिर्फ पंजाब में इन गड़बडि़यों के रहस्यों का जिक्र नहीं कर रहे हैं। “इसलिए, किसी को यह नहीं सोचना चाहिए कि मैं इसे शिअद या पंजाब के परिणामों के लिये स्पष्टीकरण के तौर पर पेश कर रहा हूं। मैं पूरे देश की बात कर रहा हूं।” बादल ने कहा कि वे 542 निर्वाचन क्षेत्रों में से 539 में ईवीएम के आंकड़ों में अंतर की खबरों से ‘अविश्वसनीय रूप से स्तब्ध’ हैं। लक्षद्वीप, दमन और दीव तथा अमरेली (गुजरात) इस अंतर के रहस्य के एकमात्र अपवाद हैं।
उन्होंने बताया कि अंतर के आकार और अंतिम परिणाम के बीच एक रहस्यमय संबंध है। कई स्थानों पर चुनाव द्वारा जारी ईवीएम के पहले और अंतिम आंकड़ों के बीच अंतर 12 प्रतिशत से अधिक था - जो विजेताओं और हारने वालों के वोट शेयर के बीच के अंतर से कहीं अधिक है। उन्होंने कहा कि अंतर जितना अधिक होगा, भाजपा की सीटों की संख्या उतनी ही अधिक होगी। उन्होंने कहा कि पहली और अंतिम गणना में ओडिशा में 12.54 प्रतिशत की रहस्यमय वृद्धि दिखाई गई, जहां भाजपा को 21 में से 20 सीटें मिलीं। इसी तरह, आंध्र प्रदेश में यह वृद्धि 12.54 प्रतिशत थी, जहां एनडीए ने 25 में से 21 सीटें जीतीं। असम में, वृद्धि 9.50 प्रतिशत थी और एनडीए को 14 में से 11 सीटें मिलीं।
पंजाब का जिक्र करते हुये श्री बादल ने कहा कि अकेले ईवीएम वोटों में चुनाव आयोग की पहली और अंतिम गणना में 6.94 प्रतिशत का अंतर था। संयोग से, राज्य में भाजपा का वोट शेयर बढ़कर 18.56 प्रतिशत हो गया। यह ध्यान दिया जा सकता है कि यह अंतर केवल ईवीएम वोटों के पहले और अंतिम आंकड़ों के बीच के अंतर को संदर्भित करता है, और वोटों को संदर्भित नहीं करता है। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि चुनाव आयोग ने 25 मई को उच्चतम न्यायाकलय के समक्ष दावा किया था कि ईवीएम की गिनती में कोई बदलाव नहीं हो सकता क्योंकि मशीनें फुलप्रूफ हैं।