नई दिल्ली। भारत ने गुरुवार को कहा कि पाकिस्तान सरकार को करतारपुर साहिब को लेकर बातचीत में लचीला रुख अपनाना चाहिए और सिखों की धार्मिक आस्थाओं के विरुद्ध 20 डॉलर का सेवा शुल्क लेने के प्रस्ताव को वापस लेना चाहिए। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने संवाददाताओं से कहा कि अटारी वाघा सीमा चौकी पर दोनों पक्षों के बीच बैठक में हमें उम्मीद थी कि सभी लंबित मुद्दे सुलझ जाएंगे। हालांकि हमने महसूस किया कि पाकिस्तान का रुख लचीला नहीं है। तीन मौकों पर हमने उनका विरोध किया और उम्मीद जतायी कि पाकिस्तान कुछ लचीलापन दिखाये। पहला विरोध सेवा या प्रवेश के नाम पर प्रतियात्री बीस डॉलर का शुल्क को लेकर ही था।
कुमार ने कहा कि तीन सितंबर की बैठक में भारतीय पक्ष ने इसका कड़ा विरोध किया था। पाकिस्तानी पक्ष ने दस हजार यात्रियों को आने की अनुमति देने पर और यात्रियों के जत्थे के साथ प्रोटोकॉल अधिकारी के प्रवेश से भी इन्कार किया था। इन तीन बिन्दुओं पर हमें अनुकूल उत्तर नहीं मिला। हम इस परियोजना के ढांचागत विकास का काम तेजी से पूरा करने को लेकर कटिबद्ध हैं। चूंकि यह विषय लोगों की भावनाओं से जुड़ा है इसलिए हमने पाकिस्तान से कुछ लचीलापन दिखाने का आग्रह किया है। इससे पहले पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता डॉ. मोहम्मद फैसल ने इस्लामाबाद में कहा कि पाकिस्तान सरकार करतारपुर गलियारे से आने वाले तीर्थयात्रियों से प्रवेश शुल्क नहीं बल्कि सेवा शुल्क के तौर पर बीस डॉलर प्रतियात्री लेगी।