नई दिल्ली। आज संसद में नागरिकता संशोधन विधेयक पेश किया जाएगा। ये विधेयक अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी व ईसाई धर्म के मानने वाले अल्पसंख्यक समुदायों को भारत में छह साल बिताने के बाद नागरिकता देने के लिए लाया गया है।
इधर असम में राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) को लेकर एक बार फिर से विरोध प्रदर्शन तेज हो गए हैं। नागरिकता संशोधन बिल पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की अंतिम रिपोर्ट सोमवार को संसद में पेश होनी है। एक अरसे से लटके इस विधेयक के खिलाफ सिर्फ विपक्षी दलों ने ही नहीं, बल्कि एनडीए सरकार के सहयोगी दल शिवसेना ने भी मोर्चा खोल लिया है, जबकि कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, सीपीएम और समाजवादी पार्टी पहले ही जेपीसी रिपोर्ट के खिलाफ हैं।
असम के विभिन्न स्थानों पर नागरिकता विधेयक को लेकर शनिवार और रविवार को प्रदर्शन हुए। इससे एक दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि उनकी सरकार प्रस्तावित कानून को संसद की मंजूरी दिलाने की दिशा में काम कर रही है, जिसके बाद निचले असम और डिब्रुगढ़ में प्रदर्शनकारियों ने पीएम मोदी और सीएम सर्बानंद सोनोवाल के खिलाफ नारेबाजी भी की।