भोपाल। गुना लोकसभा सीट से भाजपा के डॉ. केपी यादव ने कांग्रेस के ज्योतिरादित्य सिंधिया को 124750 वोटों से हरा कर इतिहास लिख दिया। पहली बार ज्योतिरादित्य सिंधिया को चुनाव में मिली हार उनको कभी नहीं भूल पाएगी, क्योंकि यह हार सिंधिया को उनके बचपन के मित्र व कभी सिंधिया जिंदाबाद के नारे लगाने वाले डॉ. केपी यादव से मिली है।
बीजेपी के यादव को 610855 और ज्योतिरादित्य सिंधिया को 486105 वोट मिले। 2014 के चुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भाजपा के जयभान सिंह पवैया को एक लाख 20 हजार 792 वोटों से शिकस्त दी थी। गुना लोकसभा सीट पर तीन पीढ़ियों से सिंधिया घराने का कब्जा रहा है। ग्वालियर के बाद गुना ही वह लोकसभा सीट है, जहां से सिंधिया परिवार चुनाव लड़ना पसंद करता है। इस सीट से सांसद ज्योतिरादित्य की दादी विजयराजे सिंधिया और पिता माधवराव सिंधिया ने निर्दलीय चुनाव जीतकर इतिहास रचा था, लेकिन राजनीतिक किला अब सिंधिया से छिन गया है।
सिंधिया घराने के गढ़ में भाजपा ने कई बार सेंध लगाने की कोशिश की, लेकिन विजयाराजे सिंधिया के बाद से भाजपा को यहां पर कोई ऐसा उम्मीदवार नहीं मिला, जो माधवराव सिंधिया और ज्योतिरादित्य सिंधिया को हरा सके। सिंधिया परिवार की तीन पीढ़ियों को गुना लोकसभा सीट से 14 बार सांसद के तौर जनता ने चुनकर भेजा है। सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया की दादी विजयाराजे सिंधिया छह बार गुना से सांसद रहीं, तो उनके पिता माधवराव चार बार चुने गए थे। ज्योतिरादित्य भी चौथी बार गुना लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया।
सेल्फी का क्रेज
सोशल मीडिया में एक फोटो वायरल हो रहा है, जिसमें केपी यादव गाड़ी के आगे खड़े हैं और ज्योतिरादित्य सिंधिया सीट पर बैठे हैं। यादव कार में बैठे सिंधिया की दूर से सेल्फी ले रहे हैं। सिंधिया उनकी तरफ देख भी नहीं रहे हैं। उन्हें अंदेशा भी नहीं रहा होगा कि उनके राजनीतिक रथ की विजय यात्रा को यह सेल्फी लेने वाला रोक देगा।