दबंग रिपोर्टर। लोकसभा चुनाव के दौरान धन का दुरूपयोग रोकने के लिए प्रत्याशियों के निर्वाचन व्यय पर भारत निर्वाचन आयोग की की नजर रहेगी। इसके लिए निर्वाचन व्यय निगरानी दल तैनात कर दिए गए हैं। भारत निर्वाचन आयोग के अनुसार गठित यह दल प्रत्याशी की हर राजनीतिक गतिविधि पर निगरानी रखेगी। जिला निर्वाचन अधिकारी किरण कौशल ने बताया कि निर्वाचन के दौरान व्यय निगरानी दल राजनीतिक दलों तथा प्रत्याशी के प्रचार-प्रसार और उनकी ओर से किए जा रहे जनसंपर्क के विभिन्न माध्यमों तथा उसके लिए किए जा रहे उपक्रमों के व्यय का लेखा-जोखा तैयार करेगी। ये व्यय निगरानी दल निर्वाचन क्षेत्र के लिए गठित वीडियो निगरानी दल, वीडियो अवलोकन दल, लेखा दल, स्थैतिक निगरानी दल, एमसीसी, एमसीएमसी तथा नियंत्रण कक्ष के सहयोग तथा समन्वय से काम करेगा। उन्होंने बताया कि प्रत्याशी के निर्वाचन व्यय की जानकारी कोई भी आम नागरिक सिर्फ एक रुपये जमा कर अवलोकन कर सकता है।
निर्वाचन की निष्पक्षता, स्वतंत्रता को स्थापित करने के लिए निर्वाचन व्यय की सीमा का निर्धारण किया गया है। इसके तहत वर्तमान में लोकसभा निर्वाचन के लिए कोई भी अभ्यर्थी 70 लाख रुपये व्यय कर सकता है। उन्होंने बताया कि व्यय निगरानी दल हर उस संदिग्ध लेन-देन, परिवहन तथा व्यवहार पर नजर रखेंगे, जो निष्पक्ष निर्वाचन के किसी भी पक्ष को प्रभावित कर सकता है। प्रत्याशी के किसी भी व्यय पर मतभेद अथवा विवाद की स्थिति में जिला व्यय निगरानी समिति जिसके प्रमुख व्यय प्रेक्षक होते हैं, उनके समक्ष पक्ष रखा जा सकता है। कलेक्टर ने बताया कि प्रत्याशी के प्रतिदिन की राजनीतिक गतिविधि की रिकार्डिंग वीडियो निगरानी दल करता है, जिसकी प्रतिलिपि तीन सौ रुपये देकर कोई भी नागरिक ले सकता है। इन वीडियो का अवलोकन वीडियो अवलोकन दल करता है।
इस कार्य में किए गए व्यय का अनुमान लगाता है तथा उसे पंजी में दर्ज करता है। जिला निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि आचार संहिता लगने के साथ ही प्रचार के लिए तथा प्रचारकों के साथ चलने वाले वाहनों के व्यय, हेलिकॉप्टर से यात्रा, उस पर हुए व्यय का समायोजन, नकद राशि की प्राप्ति, सीमा से अधिक उपहार अथवा धन प्राप्त होने आदि के संबंध में कार्रवाई निर्वाचन आयोग के निर्देश के अनुसार की जाएगी। व्यय निगरानी दल और स्थानीय बैंकों के अधिकारियों की बैठक कर उन्हें संदिग्ध लेन-देन पर नजर रखने तथा इसकी जानकारी अनिवार्य रूप से जिला निर्वाचन कार्यालय को देने के निर्देश भी जारी कर दिए गए हैं। कलेक्टर कौशल ने बताया कि व्यय लेखा जमा नहीं करने वाले, गलत लेखा जमा करने वाले अथवा सीमा से अधिक व्यय करने वाले प्रत्याशियों को दंडित करने का प्रावधान है। भारत निर्वाचन आयोग से ऐसे प्रत्याशियों को तीन साल के लिए निर्वाचन के अयोग्य घोषित कर दिया जाता है। वहीं भारतीय दंड संहिता के तहत भी अनाधिकृत लेन-देन के लिए कार्रवाई का प्रावधान है।