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‘लिव-इन में रहने का मतलब शारीरिक संबध के लिए सहमति नहीं’

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Oct 8 2018 10:41AM | Updated Date: Oct 8 2018 10:41AM
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जबलपुर। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा है कि यदि कोई महिला लिव इन में रहती है तो इसका मतलब ये नहीं है कि उसकी शारीरिक संबंधों के लिए भी सहमति है। यदि व्यक्ति महिला के साथ शारीरिक संबंध बनाता है और फिर वह महिला के साथ शादी करने से इंकार कर देता है तो महिला व्यक्ति पर रेप का केस दर्ज करा सकती है। 
 
जस्टिस सुशील कुमार पालो ने  कहा कि धोखाधड़ी से ली गई सहमति को पूर्ण सहमति नहीं माना जा सकता और यह अपराध रेप के दायरे में आएगा। जस्टिस पालो ने यह टिप्पणी एक व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई के दौरान की। दरअसल याचिकाकर्ता और उसके माता-पिता के खिलाफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट ने रेप और दहेज एक्ट के तहत मामला दर्ज करने का आदेश दिया था। 
 
इसी आदेश के खिलाफ याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट का रुख किया। इसी याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस पालो ने कहा कि इस मामले में इस बात का जिक्र करना जरुरी होगा कि याचिकाकर्ता ने पीड़िता को शादी करने का यकीन दिलाकर उसके साथ सहमति से यौन संबंध बनाए। यह एक धोखाधड़ी है। 
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