नई दिल्ली। आजकल टीम इंडिया के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली की आत्मकथा ‘ए सेंचुरी इज नॉट इनफ’ चर्चा का कारण बनी हुई। प्रिंस आॅफ कोलकाता के उपनाम से पहचाने जाने वाले दादा ने अपनी इस किताब में टीम इंडिया के पूर्व कोच ग्रेग चैपल पर निशाना साधने के अलावा कई शानदार खुलासे किए हैं।
दादा ने अपनी किताब में माना है कि ग्रेग चैपल को टीम इंडिया का कोच बनाना उनके क्रिकेट कॅरियर की सबसे बड़ी गलती थी। हर कोई जानता है कि 2005 में कोच चैपल के कहने पर बीसीसीआई ने गांगुली को कप्तानी से हटाकर राहुल द्रविड़ को जिम्मेदारी दे दी थी। दादा ने लिखा, साल 2004 में हम लगातार यह चर्चा कर रहे थे कि जॉन राइट के बाद किसे कोच बनाया जाए। अचानाक उनका (ग्रेग चैपल) नाम मेरे दिमाग में आया। मैंने इस बात की चर्चा मिस्टर डालमिया से की तो एक दिन उन्होंने मुझे घर आने को कहा था।
हालांकि सौरव ने अपनी इस किताब में यह भी खुलासा किया है कि चैपल को कोच बनाने से पहले कई लोगों ने जगमोहन डालमिया को आगाह किया था, जिसमें इयान चैपल भी शामिल थे, जो कि ग्रेग के भाई हैं। जबकि दादा को टीम इंडिया के दिग्गज सुनील गावस्कर ने भी चेताया था। सौरव ने लिखा, सनी भाई ने मुझसे कहा था कि सौरव इस बारे में फिर से सोच लो। ग्रेग चैपल के साथ टीम चलाने में आपको दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि उनका कोचिंग का रिकॉर्ड बहुत शानदार नहीं है।
साथ ही सौरव ने अपनी किताब में लिखा, साल 2005 मेरे लिए सबसे बेचैन करने वाला साल रहा। मेरी कप्तानी बिना किसी खास वजह के ले ली गई और खिलाड़ी के तौर पर भी मुझे टीम से निकाल दिया गया। मैं आज जब इसके बारे में लिख रहा हूं तो गुस्सा आ रहा है। यह बात मुझे कतई स्वीकार नहीं थी। वैसे 2007 वर्ल्ड कप में टीम के खराब प्रदर्शन के बाद जब ग्रेग चैपल के खिलाफ दादा के बाद वीरेंद्र सहवाग, हरभजन सिंह, जहीर खान और आखिर में सचिन तेंदुलकर ने अपना मुंह खोला तो उन्हें (चैपल) बीसीसीआई ने हटा दिया था।