नई दिल्ली। छोटे तथा मझौले शहरों को हवाई नेटवर्क से जोड़ने के लिए शुरू की गयी सरकार की क्षेत्रीय संपर्क योजना ‘उड़ान’ (उड़े देश का आम नागरिक) के चौथे चरण का टिकट सबसे महँगा होगा। ‘उड़ान-4’ के निविदा दस्तावेज में बताया गया है कि 500 किलोमीटर की विमान यात्रा के टिकट का अधिकतम मूल्य 2,925 रुपये का होगा। उल्लेखनीय है कि जब ‘उड़ान’ योजना शुरू की गयी थी उस समय ‘ढाई हजार रुपये में 500 किलोमीटर की विमान यात्रा’ वाली योजना के नाम से इसका प्रचार किया गया था। ‘उड़ान’ के पहले चरण में 500 किलोमीटर का अधिकतम किराया 2,500 रुपये रखा गया था। दूसरे चरण में इसे घटाकर 2,480 रुपये किया गया जबकि तीसरे चरण में इसे बढ़ाकर 2,645 रुपये कर दिया गया।
योजना के तहत सरकार ने दूरी के हिसाब से अधिकतम किराया तय कर दिया है। विमान सेवा प्रदाता को हर उड़ान में आधी सीट क्षेत्रीय संपर्क योजना के तहत आरक्षित करनी होगी जिसका अधिकतम किराया तय होगा। शेष आधी सीटों का किराया तय करने के लिए विमान सेवा कंपनियाँ स्वतंत्र होंगी। तय किराये पर टिकट बेचने से एयरलाइन को होने वाले नुकसान की भरपाई वायेबिलिटी गैप फंडिग (वीजीएफ) से की जायेगी। सबसे कम वीजीएफ की माँग करने वाले बोली प्रदाता मार्ग का आवंटन किया जाता है।
चौथे चरण में एक और बड़ा बदलाव यह किया गया है कि सिर्फ 500 किलोमीटर की यात्रा के लिए ही वीजीएफ दिया जायेगा। पहले तीनों चरणों में 800 किलोमीटर तक वीजीएफ प्रदान किया जा रहा था। हालाँकि इस बार वीजीएफ में बढ़ोतरी की गयी है।
पहले चरण में 500 किलोमीटर के लिए अधिकतम 4,050 रुपये वीजीएफ दिया गया था। दूसरे चरण में इसे बढ़ाकर 4,250 रुपये कर दिया गया। तीसरे चरण में 20 से ज्यादा सीटों वाले विमानों और 20 सीटों तक वाले विमानों के लिए वीजीएफ में अंतर कर दिया गया था। बीस से अधिक सीटों वाले विमानों के लिए 500 किलोमीटर पर वीजीएफ 4,793 रुपये और अन्य विमानों के लिए 6,704 रुपये तक किया गया था।
चौथे चरण के तहत 20 सीटों तक वाले विमानों के लिए 500 किलोमीटर की दूरी के लिए गैर-प्राथमिकता वाले मार्गों पर अधिकतम वीजीएफ 4,740 रुपये और प्राथमिकता वाले मार्गों पर 6,415 रुपये तय किया गया है। बीस से ज्यादा सीटों वाले विमानों के लिए अधिकतम वीजीएफ 8,523 रुपये होगा। प्राथमिकता वाले मार्ग वे हैं जो किसी दुर्गम या सुदूर इलाके जैसे पर्वतीय क्षेत्र, पूर्वोत्तर के शहरों या द्वीप को जोड़ते हैं।
दुर्गम इलाकों को हवाई नेटवर्क से जोड़ने के लिए विमान सेवा प्रदाताओं को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से इनके लिए ज्यादा वीजीएफ की पेशकश की गयी है। पूर्वोत्तर के 30 हवाई अड्डों/हवाई पट्टियों और एक वाटर एयरोड्रोम को बोली के लिए रखा गया है जहाँ से इच्छुक ऑपरेटर सेवा शुरू कर सकते हैं। जम्मू-कश्मीर के 11 और लद्दाख के दो हवाई अड्डों को बोली के लिए रखा गया है।